देहरादून, 11 जुलाई। वीर शासन जयंती महोत्सव के शुभ अवसर पर संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्तोत्र उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सानिध्य में गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में आज प्रातः 6.15 बजे से जिनेन्द्र भगवान् का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके पश्चात संगीतमय भगवान मंशापूर्ण महावीर विधान का आयोजन किया गया। विधान मे उपस्थित भक्तो ने बड़े भक्ति भाव के साथ भगवान महावीर स्वामी की आराधना की। पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन मे कहा कि वीर शासन जयंती से ही जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर विश्वप्रभु भगवान् महावीर स्वामी का शासन काल प्रारम्भ हुआ था। जैन धर्म मे इस दिन एक विशेष महत्व है। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उन्हें “सदी के शासन नायक” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया और उनका प्रचार किया। वे “वर्धमान” के नाम से भी जाने जाते हैं। उनका जन्म 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था और उन्होंने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया था। इस शुभ दिन पर श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को श्री वीर प्रभु की दिव्य देशना 66 दिनों के अंतराल के बाद विपुलाचल पर्वत पर समवशरण के मध्य खिरी थी। प्रतिवर्ष वीर शासन जयन्ती को मनाते समय भगवान महावीर सर्वोदय तीर्थ की भावना को हृदय में अंकित कर उनकी वाणी का घर-घर में प्रचार और प्रसार करने का सतत यत्न करना प्रत्येक सत्पुरूष का कर्तव्य है। विधानाचार्य संदीप जैन सजल इंदौर संगीतकार रामकुमार एंड पार्टी भोपाल द्वारा संगीत में विधान आज से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम के पश्चात भोज श्रीमती चन्दनबाला जैन हर्ष जैन मोनिका जैन, अनुज जैन शालू जैन, प्रांशु, श्रेया, अनन्या, अनम्या जैन (रामपुर वाले) परिवार की और से की गयी। विधान में रोहिनी, बलबीर नगर , सूर्य नगर, बिना गंज, भिंड से आए गुरुभक्तो ने प्रतिभाग कर अपनी श्रद्धा भक्ति की। पुष्प वर्षायोग समिति द्वारा बहार से पधारे सभी गुरुभक्तो का अतिथि सत्कार कर प्रतीक चिन्न भेट किया। इस अवसर पर देहरादून के सभी जैन संस्थाओं के अन्य सभी गणमान्य लोग मौजूद रहे।
भक्ति भाव के साथ की भगवान महावीर स्वामी की आराधना
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