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हमारा प्राचीन ज्ञान हमारी अमूल्य धरोहर : राज्यपाल

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देहरादून 22 जनवरी। राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन के. जोशी ने ‘‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’’ योजना के तहत चल रहे शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण दिया। श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘आधुनिक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान परंपरा’’ विषय पर शोध किया जा रहा है। प्रस्तुतीकरण के दौरान कुलपति ने बताया कि शोध पत्र को 7 खण्डों, प्राच्य विज्ञान एवं प्राचीन गणित, इतिहास संस्कृति एवं राजनैतिक विचार, आयुर्वेद एवं योग, अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन, पर्यावरण, दर्शन एवं शैक्षिक चिंतन और बहुविषय में विभाजित किया गया है। शोध पत्र का उद्देश्य प्राचीन ज्ञान तथा आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मध्य समन्वय स्थापित किया जाना है, इसके साथ-साथ हमारे समृद्ध ज्ञान को आधुनिक परिपेक्ष्य में पुनर्स्थापित करना और हमारे प्राच्य ग्रन्थों में निहित ज्ञान को संरक्षित किया जाना है। इस दौरान उन्होंने विस्तृत रूप से सभी खण्डों में निहित शोध प्रबंध के बारे में अवगत कराया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध कार्य की सराहना करते हुए कहा कि हमारा प्राचीन ज्ञान हमारी अमूल्य धरोहर है, लेकिन इसके महत्व और उपयोगिता से बहुत कम लोग परिचित हैं। यह शोध प्रबंध विज्ञान, गणित, आयुर्वेद, योग, खगोलशास्त्र और राजनीति जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को वैश्विक स्तर पर एक अमूल्य धरोहर के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इन ज्ञान शाखाओं ने न केवल हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है, बल्कि इनकी वैश्विक प्रासंगिकता भी प्रमाणित हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि इस समृद्ध ज्ञान को संरक्षित कर, इसे वैश्विक विकास, सांस्कृतिक सशक्तीकरण और वैज्ञानिक अनुसंधान में समाहित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारा प्राचीन ज्ञान जो हमारी धरोहर है जिसके बारे में प्रत्येक भारतीय को जानकारी होना जरूरी है। शोध के माध्यम से निकले निष्कर्ष से भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रचार-प्रसार होगा। राज्यपाल ने शोध टीम के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर अपर सचिव श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया, प्रो. कल्पना पंत, संयुक्त निदेशक सूचना डॉ. नितिन उपाध्याय उपस्थित रहे।

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