देहरादून। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल द्वारा नोर्थ जोन रीजनल कॉन्फ्रेन्स आज एक होटल में आरंभ हुईं। जिसमें उच्चतम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशगण तथा जिला न्यायालयों के सम्मानित न्यायाधीशगण प्रतिभाग कर रहे हैं। कॉन्फ्रेन्स का आरंभ राष्ट्रीय गान के साथ किया गया, जिसमें सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल द्वारा अपने अभिभाषण में हनुमान जयंती के अवसर पर कहा गया कि न्यायाधीशगण को भगवान हनुमान की तरह ही सेवक की भाँति कार्य करना चाहिए। उनके द्वारा बताया गया कि इस कॉन्फ्रेन्स में प्रतिभाग करने वाले नार्थ जोन के सभी प्रदेशों द्वारा वर्ष 2024 में 100 प्रतिशत से अधिक वादों का निस्तारण किया गया है। उनके द्वारा मीडिया ट्रायल पर भी अपने विचार व्यक्त किये गए। न्यायमूर्ति अनीता सुमांथ द्वारा विडियो कॉन्फ्रेन्सिंग का न्यायालयों में अधिक से अधिक उपयोग करने के लिये प्रेरित किया गया। न्यायमूर्ति श्री ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह द्वारा अपने अभिभाषण में बताया गया कि मीडियेशन को ओर अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये हमें इन्फास्ट्रक्चर पर ओर अधिक कार्य करना होगा तथा न्यायाधीशगण की संख्या बढानी होगी तथा अन्य देशों की तरह ही ऑनलाइन डिस्प्यूट रेसोल्यूशन को बढावा देना होगा। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति एपी साही द्वारा न्यायतंत्र व मीडिया के मध्य किस प्रकार से संतुलन रखना चाहिए, इस सम्बंध में अपने विचार रखे। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस द्वारा कहा गया कि हमारे देश में न्याय व्यवस्था इतनी आसान हो गयी है कि वादकारियों की न्यायालयों में आसानी से पहुंच हो रही हैं। हमें न्याय की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना है। उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड के मुख्य न्यायमूर्ति गुहनाथन नरेन्द्र द्वारा देवभूमि उत्तराखण्ड के सभी धामों व पवित्र नदियों सहित सभी पर्यटक स्थलों के सम्बंध में जानकारी दी तथा बताया कि डिजीटाईजेशन व पेपरलेस कोर्ट आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है।
न्यायाधीशगण को भगवान हनुमान की तरह ही सेवक की भाँति कार्य करना चाहिए
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