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डिब्बा बंद पानी पीने से पहले रहें सावधान : बोतलबंद पानी है कई बीमारियों का घर, पिता बनना है मुश्किल, मां के दूध में भी पाए गए केमिकल

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पानी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पानी आमतौर पर एक प्राकृतिक संसाधन है जिस पर हम सभी का अधिकार है, लेकिन आजकल पानी का व्यवसायीकरण किया जा रहा है। हम जो डिब्बाबंद पानी पीते हैं वह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारी मिट्टी के लिए भी हानिकारक है।

डिब्बाबंद पानी हृदय रोग से लेकर मधुमेह तक कई बीमारियों का कारण बनता है।पानी की बोतल बनाने में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक एक प्रकार का पॉलीमर होता है। यह बोतल कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और क्लोराइड से बनी है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर पानी की बोतलें पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक से बनी होती हैं। बोतलबंद पानी में ‘फाथलेट्स’ और ‘बिसाफेनॉल-ए’ (बीपीए) नामक रसायन भी मिलाया जाता है, जो हृदय रोग या मधुमेह का कारण बन सकता है।
जमीन पर पीने के पानी की क्या स्थिति है? सबसे पहले जानते हैं इस ग्राफिक से
यहां तक ​​कि हम बोतल से जो पानी पीते हैं, उसमें हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक होता है। ‘Frontiers.org’ के एक शोध के मुताबिक, धूप के संपर्क में आने पर बोतलबंद पानी सेहत के लिए ज्यादा हानिकारक होता है।
जब भी ये पानी की बोतलें धूप के संपर्क में आती हैं या लंबे समय तक इनमें रखी जाती हैं, तो ये बोतलें पानी में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ना शुरू कर देती हैं और इस पानी को पीते समय यह शरीर के हार्मोन संतुलन प्रणाली को बिगाड़ देती है। अगर इस पानी को लंबे समय तक पिया जाए तो यह हार्मोन में बदलाव, जल्दी यौवन, बांझपन और लीवर को नुकसान पहुंचाने वाली कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
आइए ग्राफिक्स के साथ दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदूषित पानी को लेकर दी गई रिपोर्ट को समझते हैं।
दूसरी ओर, प्लास्टिक की बोतलें सालों तक सड़ती नहीं हैं इसलिए मिट्टी के लिए हानिकारक हैं। प्लास्टिक की बोतलों से हमारी धरती गर्म हो रही है। 1 लीटर पानी की बोतल बनाने में 1.6 लीटर बर्बाद हो जाता है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर 1 मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जा रही हैं. 2009 के बाद से अब तक इतनी प्लास्टिक की बोतलें बिक चुकी हैं कि अगर इनमें मिला दिया जाए तो मुंबई या न्यूयॉर्क के मैनहट्टन द्वीप पर एक लंबा टावर बन जाएगा।
‘यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल’ की एक रिपोर्ट की बात करें तो साल 2021 में पूरी दुनिया में 480 अरब प्लास्टिक की बोतलें बिकी थीं। साथ ही हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में फेंका जाता है।
2021 तक पैकेज्ड वाटर का व्यापार 24 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। तो एक रिपोर्ट में सामने आया कि लोग नल के पानी की जगह बोतलबंद पानी ज्यादा पीते हैं। दूसरी ओर जहां कई कंपनियों ने बीपीए रसायनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं कई कंपनियां अब भी इनका इस्तेमाल कर रही हैं। 2015 में, कई जर्मन शोधकर्ताओं ने बोतलबंद पानी का एक अध्ययन किया, जिसमें बोतलबंद पानी में 25,000 हानिकारक रसायन पाए गए।
आइए जानते हैं बोतलबंद पानी के बारे में डॉक्टर क्या कहते हैं।
तो जिससे बोतलबंद पानी की मांग बढ़ गई है, उस दूषित पानी को पीने से हमें क्या नुकसान।
साफ पानी के अभाव में लोग बोतलबंद पानी ज्यादा पी रहे हैं। अब तो शहरों और गांवों में भी बोतलबंद पानी पर निर्भरता बढ़ गई है। दूषित पानी के कारण हर 10 सेकेंड में 1 व्यक्ति की मौत हो रही है।
‘द वर्ल्ड काउंट्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पानी से जुड़ी बीमारियों की वजह से हर साल करीब 35 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इनमें करीब 2.2 करोड़ बच्चे हैं। दुनिया के आधे से ज्यादा अस्पताल पानी से संबंधित बीमारियों के मरीजों को भर्ती करते हैं।
दूषित पानी से सड़क हादसों जितनी मौतें यह दुनिया भर में एक ही साल में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या थी।
साफ पानी की कमी से हैजा, डायरिया, हेपेटाइटिस ए, टाइफाइड, पोलियो और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जो जानलेवा साबित होते हैं। ये रोग बच्चों में अधिक खतरनाक रूप धारण कर लेते हैं।
दुनिया भर के देशों में दूषित पानी लोगों को बीमार कर रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा मौतें गरीब देशों में होती हैं। रोग अध्ययन के वैश्विक बोझ में भी यही बात सामने आई है, जिसे यहां के ग्राफिक से समझा जा सकता है-
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