उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के अध्ययन और इसके समाधान को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की एक बैठक कल चार फरवरी को राजधानी दिल्ली में होने जा रही है। NDMA की इस बैठक में वर्चुअल माध्यम के जरिये उत्तराखंड राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा के साथ साथ जोशीमठ भू-धंसाव का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
एनडीएमए की तरफ से जोशीमठ में हो रहे इस भूधंसाव की हर पहलू से बारीकी से जांच और अध्ययन करने के लिए आठ संस्थानों सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), देहरादून, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), रुड़की, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच), रुड़की, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई), देहरादून, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), देहरादून, और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस), देहरादून को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इन सभी संस्थानों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट एनडीएमए को सौंप दी थी। जिसके बाद अब जोशीमठ भू-धंसाव के कारणों और सके निवारण को लेकर एनडीएमए ने कल चार फरवरी को बैठक बुलाई है। कल चार फरवरी को होने वाली NDMA की इस बैठक में इन सभी संस्थानों के प्रतिनिधि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, कल होने वाली इस बैठक में जोशीमठ आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए बनाए गए तीन विकल्पों पर भी अहम चर्चा हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ जोशीमठ भू-धंसाव पर आई हुई रिपोर्ट पर भी चर्चा होने की संभावना है। उधर, दूसरी तरफ राज्य के कुछ अधिकारियों का कहना है कि इस महीने के अंत तक जोशीमठ पर वैज्ञानिकों की विस्तृत रिपोर्ट एनडीएमए के माध्यम से राज्य को मिल सकती है।