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सहकारिता से खुले आम लोगों की समृद्धि के द्वार

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देहरादून,। राज्य गठन के उपंरात ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहकारित विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 25 वर्ष के कालखंड में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश के किसानों, महिलाओं, काश्तकारों, कारीगरों और युवाओं को सशक्त बनाने और पलायन को रोकने की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण व प्रभावशाली योजनाएं संचालित की गई। इसके साथ ही सहकारी संस्थाओं को अधिक संगठित, व्यापक और पारदर्शी बनाय गया। प्रदेश की शत-प्रतिशत पैक्स समितियों का कम्प्यूटरीकरण कर सहकारिता का लाभ आम लोगों को पहुंचाया गया। मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना व माधो सिंह भण्डारी सहकारी सामूहिक खेती योजना जैसी अभिनव योजनाओं ने सहकारिता को जनांदोलन का स्वरूप प्रदान किया।
राज्य गठन के समय सहकारिता विभाग में जहां 528 विभागीय पद स्वीकृत थे, वहीं अब इनकी संख्या 607 हो गई है। इसी प्रकार सहकारी समितियों की संख्या 1800 से बढ़ाकर 6346 की गई। जिला सहकारी बैंक शाखाएं 207 से 330 की गई। जबकि शीर्ष सहकारी संस्थाओं 03 से बढ़कर 14 हो गई है। इसी प्रकार वर्तमान में पैक्स समितियों की कुल संख्या 672 है। जहां पर आम लोगों को सभी सहकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा सहकारिता विभाग ने विधिक एवं प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ करने हेतु कई ऐतिहासिक कदन उठाये जिसके तहत सहकारी संस्थागत सेवामण्डल, सहकारी न्यायाधिकरण, सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण का गठन किया गया।
राज्य गठन के बाद विभाग में पारदर्शी भर्ती के माध्यम से योग्य कार्मिकों को नियुक्ति दी गई। सरकार ने पहली बार वर्ष 2018-19 में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था आईबीपीएस के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के माध्यम से जिला सहकारी बैंकों एवं शीर्ष सहकारी बैंकों में वर्ग-01, 02 व 03 के पदों पर 597 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई। जबिक 177 पदों पर वर्तमान में भर्ती प्रस्तावित है। इसके अलावा सीधी भर्ती, राज्य आंदोलनकारी व मृतक आश्रित कोटे के माध्यम से विभिन्न पदों पर 475 कार्मिकों की नियुक्ति की गई।
सहकारिता विभाग के अंतर्गत संचालित दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत वर्ष 2017 से सितम्बर 2025 तक 1134434 लाभार्थियों एवं 6413 स्वयं सहायता समूहों को कुल 6957.88 करोड़ ब्याज मुक्त ऋण वितरित किया जा चुका है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस योजना के तहत किसानों की आय दोगुना करने के उददेश्य से कृषि कार्यों हेतु 01 लाख, कृषियेत्तर कार्यों हेतु 03 लाख और स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक की धनराशि का ब्याजरहित ़ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ द्वारा प्रदेशभर में किसानों की उपज को खरीदा जा रहा है, जिससे किसानों को खास लाभ हो रहा है। 239 क्रय-केन्द्र के माध्यम से स्थानीय कृषकों से 67171.92 कुन्तल मिलेट्स खरीदकर कुल 26.52 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया।
प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं को चारे बोझ से मुक्त किये जाने के उददेश्य से मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के तहत अनुदानित दर पर पैक्ड सायलेज एवं सम्पूर्ण मिश्रित पशु आहार वितरित किया जा रहा है। प्रदेश के 11 जिलों में लगभग 182 सहकारी समितियों के माध्यम से आतिथि 555582 मैट्रिक टन सायलेज वितरित कर 54 हजार लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया।
माधो सिंह भण्डारी सहकारी सामूहिक खेती योजना आज मॉडल योजना के तौर पर पहचानी जा रही है। इस योजना के तहत राज्य में पलायन के कारण हुई बंजर हुई जमीन को खेती योग्य भूमि बनाया गया। वर्तमान में राज्य के सभी 13 जनपदों में 24 सहकारी समितियों से जुड़े लगभग 2400 किसानों के माध्यम से कुल 1235 एकड़ भूमि पर संयुक्त सहकारी खेती की जा रही है।
वाईब्रेंट विलेज योजना के तहत भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल एंव भारतीय सेना की राज्य में तैनात वाहिनी के लिये वॉकल फॉर लोकल परिकल्पना को साकार कर फेडरेशन व समितियों के सदस्यों के द्वारा उचित मूल्य पर स्थानीय उत्पादों जीवित बकरी, भेड़, कुक्कट, ट्राउट फिश व फल-सब्जियों की आपूर्ति की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प से सिद्धि मंत्र को आत्मसात करते हुये प्रदेश में एनसीडीसी के माध्यम से राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत चार क्षेत्र सहकारिता, मत्स्य, भेड़-बकरी पालन एवं डेयरी विकास के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही है। इसके माध्यम से 50000 किसान प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।
सहकारी समितियों को आधुनिक बनाने के लिये उन्हें तकनीक सम्पन्न बनाया गया है। वर्तमान में प्रदेशभर की शत-प्रतिशत पैक्स समितियों का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण में उत्तराखंड राज्य के मॉडल से प्रेरित होकर सहकारिता मंत्रायल भारत सरकार द्वारा देशभर के समस्त राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में केन्द्रीय प्रायोजित पैक्स कम्प्यूटराइजेशन योजना संचालित की गई है।
प्रदेशभर की पैक्स समितियों में आम लोगों को कई सुविधाएं दी जा रही है। इसके अलावा एमपैक्सों को जन औषधि केन्द्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में 23 एमपैक्स जन औषधि केन्द्र के रूप में कार्य कर रही हैं। इसके अलावा 650 सहकारी समितियां जन सुविधा केन्द्र (सीएससी) के तौर पर भी काम रही है। जिससे ग्रामीणों को सरकारी सेवाएं उनके गांवों में ही मिल रही है। 478 पैक्स में प्रधानमंत्री समृद्धि केन्द्र खोले गये हैं जहां पर किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराया जायेगा।
महिलाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने तथा सहकारी संगठनों में अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक किये जाने के लिये सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों की प्रबंध कमेटी तथा अध्यक्ष पद हेतु महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया। जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि है।
ठोस रणनीति और पारदर्शी कार्यों के चलते प्रदेश के सहकारी बैंकों के शुद्ध एनपीए में कमी लाई गई। राज्य गठन के दौरान सहकारी बैंकों का सकल एनपीए जहां 4838.16 लाख रूपये था वहीं वर्ष 2025 में यह घटकर 690.30 लाख रूपये रह गया है। जिसके और कम करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
सहकारी संस्थाओं के कार्य संचालन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन सुनिश्चित करते हुये राज्य सरकार सहकारिता को जनांदोलन के रूप में विकसित कर रही है। सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तराखंड के लक्ष्यों को साकार करने का संकल्प राज्य सरकार ने लिया है। डॉ. धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड।

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