Pahaad Connection
Breaking News
Breaking Newsउत्तराखंड

बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे स्व. बाबूराम गोयल

Advertisement

देहरादून। राजनीतिक जीवन- स्व. श्री बाबूराम गोयल एक मधुरभाषी, बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वह बच्चों के साथ बच्चे बन जाते थे तो वहीं समाजसेवा में सदैव आगे रहते थे। अनाज आढती होने के कारण उनके आगे कभी आर्थिक समस्या खडी नही हुयी, जिसके कारण समाजसेवा के बडे-बडे कार्य वह समय-समय पर करते रहते थे। यही कारण था कि उनका राजनीतिक जीवन पाक साफ रहा। उनका मकसद केवल इतना था कि हिंदूत्व के लिए बहुत कुछ किया जाए, क्योंकि उनका जब जन्म हुआ उस समय देश में अंग्रेजों का राज था और बड़े स्तर पर देश आजादी का आंदोलन चल रहा था। श्री बाबूराम गोयल के पिता स्व. श्री शंकर लाल गोयल स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग ले रहे थे। (स्व. श्री शंकर लाल गोयल, जिनका पुश्तैनी गांव हरियाणा राज्य के जिला कैथल KAITHAL में स्थित तहसील कैथल में पड़ने वाला गांव क्योड़क kyodak village था। उनके पूर्वज गांव क्योड़क में निवास करते थे, वहां से वह जिला करनाल राज्य हरियाणा में स्थित गंजो गढ़ी गांव Ganjo Garhi Village आ गये हैं, जहां आज भी पितरों का स्थान मौजूद हैं। जब भी गोयल परिवार में लड़के का विवाह हो तो वहां जात दी जाती हैं। गंजो गढ़ी गांव में वह अधिक समय तक नहीं रहे यहां से वह कलरों Kalron पंचायत घरौंडा ब्लॉक करनाल, हरियाणा आ गये। यहां से स्व. श्री शंकर लाल गोयल लंढौर मसूरी, जिला देहरादून आ गये और कुछ समय वहां निवास करने के बाद देहरादून आ गये) जब बाबूराम गोयल युवा हुए तो उन्होेंने अपने घर में स्वतंत्रता आंदोलन की बहुत कहानियां सुनी। उनके दिल में भी देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना जागृत हुयी और वह 18 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पडे। युवा होने के कारण उनसे जितना बन पड़ा उतना उन्होने संघर्ष किया। इसी बीच बाबूराम गोयल के पिता श्री शंकरलाल गोयल के लंढौर मसूरी स्थित आवास में गाय का बछड़ा बीमारी के कारण मर गया जिसके दुख में वह सबकुछ छोडछाड कर 1 दर्शनी गेट, देहरादून में आकर निवास करने लगे (वर्तमान में अब यहां एक होटल संचालित है।) वहीं बाबूराम गोयल के पिता शंकर लाल गोयल ने अपने बडे भाई राजाराम गोयल के साथ मिलकर 1 आढ़त बाजार देहरादून से अनाज आढती का काम शुरू करते हुए शंकर लाल राजाराम के नाम से अपनी फर्म बनायी। इससे पूर्व उनके जब हरियाणा से मसूरी आए तो उन्होने खच्चरो के माध्यम से आना जाना कर पूराना राजपुर से देहरादून व मसूरी के मध्य सोने, चांदी के जेवरों का काम किया था। जिसके कारण उनकी देहरादून के बाजार में अच्छी जान पहचान थी जिसका उन्हें अनाज आढती के रूप में लाभ भी मिला। बाबूराम गोयल ने देहरादून में आकर भी समाजसेवा का कार्य जारी रखा और अधिवक्ता श्री बाल कृष्ण सिंघल जी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मे जुड़ गये। जब उनकी उम्र 18 वर्ष थी तब वर्ष 1936 में उनका विवाह पीठ बाजार जवालापुर जिला हरिद्वार निवासी सोमीदेवी से हो गया और उनके वर्ष 1951 में एक पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम उन्होने बाल कृष्ण रखा और प्यार से घर में मट्टू कहने लगे और वर्ष 1951 में जब अखिल भारतीय जनसंघ की स्थापना डा. श्यामप्रसाद मुखर्जी, प्रो. बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय जी ने की तो जनसंघ की विचारधारा से प्रभावित होकर वह उससे जुड गए और बाबूराम गोयल ने वर्ष 1952 के संसदीय चुनाव में काम भी किया। वह अपनी मुजफ्फरनगर में निवास करने वाली छोटी बहन कलावती व जीजा केशवराम सिंघल से जनसंघ के विषय में विचारों का आदन प्रदान भी करते रहे। बाद में बाबूराम गोयल के भांजे डा. सुरेश सिंघल मुजफ्फरनगर से भाजपा के विधायक भी रहे। बाबूराम गोयल देहरादून में स्व. नित्यानंद स्वामी, स्व. देवेन्द्र शास्त्री के काफी करीब माने जाते थे। वर्ष 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण के लिए जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया जिस पर बाबूराम गोयल ने जनता पार्टी के लिए बढ़चढ़ कर कार्य किया। लेकिन वर्ष 1980 में विघटित हो गयी और पूर्व जनसंघ के पदचिन्हों को पुनसंयोजित करते हुए भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। जिस पर बाबूराम गोयल भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करने लगे। यह बात अलग रही कि आपातकाल के दौरान बाबूराम गोयल अपनी छोटी बहन कलावती, भांजे सुरेश सिंघल के साथ भूमिगत हो गए थे। मगर उन्होने कभी भी जनसंघ का साथ नही छोडा। हर आंदोलन में उन्होने बढ चढकर भाग लिया। परिवार के लोग उनसे कहते कि जब वह जनसंघ के लिए काम कर रहे हैं तो कोई पद ले लें लेकिन उन्होने पद का मोह नही किया और निस्वार्थ भाव से सेवा में जुटे रहे। आपार संघर्षो के बीच एक दौर वह भी आया जब उनकी अनाज आढती की फर्म शंकर लाल राजाराम भाईयो के बंटवारे में बंद हो गयी और आर्थिक रूप से बाबूराम गोयल को झटका लगा लेकिन उन्होने कभी अपनी पीडा किसी के आगे नही बतायी और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए दूसरे की दुकानो में मुनीमी तक की। उनका बेहतर समय तब आया जब वर्ष 1970 में उनके पुत्र श्री बाल कृष्ण गोयल ने नगर पालिका वाटर सेल में नौकरी लगी। बाद में नगर पालिका से गढ़वाल जल संस्थान अलग हो गया और उनके पुत्र श्री बाल कृष्ण गोयल गढवाल जल संस्थान में लिपिक के पद पर स्थानांतरित हो गए। बाबूराम के ऊपर दुखो का पहाड उस समय टूटा जब उनकी पत्नी श्रीमती सोमीदेवी का वर्ष 1986 में निधन हो गया वह इस असहनीय पीडा को सहन नही कर पाये और उनका अगले वर्ष जून 1987 में मुजफ्फरनगर में अपनी बहन कलावती सिंघल के घर पर निधन हो गया। मरते दम तक उन्होने भाजपा का साथ नही छोडा और हमेशा भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करते रहे। आज भी लोग यही कहते हैं कि स्व. श्री बाबूराम गोयल जैसे व्यक्ति बिरला ही होते हैं जो बिना किसी पद के पूरा जीवन किसी पार्टी में लगा देते हैं। नही तो आज लोग पद के लिए न जाने कितनी पार्टियां छोड देते हैं। ऐसे व्यक्तित्व को हम बार-बार नमन करते हैं। वास्तव में स्व. श्री बाबूराम गोयल भाजपा के सच्चे सिपाही थे और वह एक प्रेरणा हैं जो हमारे दिलो में जिंदा रहेगी।

नोट :- कैथल जिले में 278 ग्राम पंचायत (278 गांव) हैं जिसमें 7 ब्लॉक शामिल हैं। कैथल जिले में 278 राजस्व गांवों के साथ 4 तहसील और 3 उप-तहसील हैं। तहसील कैथल में पड़ता है गांव क्योड़क यहीं गांव हमारा पुश्तैनी गांव हैं।

Advertisement

कैथल 1989 में हरियाणा जिले के रूप में अस्तित्व में आया। कैथल जिला राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसकी उत्तर-पश्चिम सीमाएं जिसमें गुहला-चीका पंजाब राज्य से जुड़ी हुई है। यह उत्तर में कुरुक्षेत्र, दक्षिण में जींद और पूर्व में करनाल से जुड़ा हुआ है। मिथकों का कहना है कि कैथल भगवान युधिष्ठर द्वारा महाभारत काल के दौरान स्थापित किया गया था। भगवान राम के ‘वानर सेना’ के मुखिया हनुमान कैथल में पैदा हुए हैं। हनुमान की मां के नाम पर प्रसिद्ध ‘अंजनी का टिल्ला’ कैथल में ऐतिहासिक स्मारकों में भी स्थित है इसकी सांस्कृतिक विरासत अपनी प्राचीन समृद्धि को प्रतिबिंबित करती है।

 

Advertisement
Advertisement

Related posts

पर्यटन स्थलों में आवश्यकता के अनुरूप बनायी जानी चाहिए पार्किंग्स

pahaadconnection

भारतीय कला और संस्कृति की विरासत को संरक्षित करना बहुत ज़रूरी : राज्यपाल

pahaadconnection

स्पा सेंटर की आड़ में अनैतिक देह व्यापार के धंधे का पर्दाफाश, दो गिरफ्तार

pahaadconnection

Leave a Comment