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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया पोर्टलों का शुभारंभ

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नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज गांधीनगर में केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह भगेल, आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस और गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल की उपस्थिति में वन अर्थ वन हेल्थ एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। इस कार्यक्रम में मालदीव सरकार के स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री शाह माहिर, मालदीव की स्वास्थ्य उपमंत्री सुश्री सफिया मोहम्मद सईद, सोमालिया के स्वास्थ्य उपमंत्री डॉ. मोहम्मद हसन मोहम्मद, नेपाल संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री श्री मोहन बहादुर बसनेत और श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. केहेलिया रामबुकवेला उपस्थित थे। स्वास्थ्य मंत्री ने सर्वोदय और अंत्योदय की अवधारणाओं को आत्मसात करते हुए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने प्राथमिक और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में विश्व स्तर पर और साथ ही अपने देश में स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने ‘द एडवांटेज हेल्थ केयर इंडिया – वन स्टॉप डिजिटल पोर्टल फॉर पेशेंट’ और ‘वर्कफोर्स मोबिलिटी’ लॉन्च करते हुए कहा, “इन दो पोर्टलों का शुभारंभ न केवल भारत के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि हमारे वैश्विक दायित्वों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. मांडविया ने कहा “इन पोर्टलों के माध्यम से हम आज स्वास्थ्य सेवा में कुछ सबसे अधिक दबाव वाली चुनौतियों का एक ठोस समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली आज 1.3 मिलियन एलोपैथिक डॉक्टरों, 800,000 आयुष डॉक्टरों और 3.4 मिलियन नर्सों और सहायक नर्स और मिडवाइव्स के कार्यबल द्वारा समर्थित है। भारत इस उच्च योग्य और कुशल कार्यबल के माध्यम से कार्यबल मोबिलिटि की एक संगठित प्रणाली में योगदान करने की योजना बना रहा है, जिसमें भारत के स्वास्थ्य सेवा पेशेवर वैश्विक समुदाय की सेवा करने के लिए विश्व के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करते हैं। उन्होंने यह दोहराते हुए कि भारत में स्वास्थ्य को एक सेवा माना जाता है, इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्र स्वास्थ्य देखभाल की एक जन-केंद्रित, मूल्य-आधारित प्रणाली बनाने की आकांक्षा रखता है। डॉ. मांडविया ने बल देते हुए कहा कि मेडिकल वैल्यू ट्रैवल अधिक ज्ञान-साझाकरण, टिकाऊ साझेदारी और एक सुदृढ़ वैश्विक स्वास्थ्य संरचना के निर्माण में योगदान देने वाले तालमेल को सक्षम करेगी। उन्होंने कहा, “हम एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत विश्व बनाने का प्रयास करते हैं जहां स्वास्थ्य सेवा कोई सीमा नहीं जानती और जहां कहीं भी कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर हैं, अंतर ला सकते हैं। हमारा सामूहिक प्रयास एक स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम बनाने की दिशा में होगा जो प्रत्येक राष्ट्र, प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक व्यक्ति की आवाज को अपनाए।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भारत जी-20 अध्यक्षता का विषय ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ लचीली वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के निर्माण के प्रयास में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल तथा स्वास्थ्य कार्यबल मोबिलिटी को एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में शामिल करता है। उन्होंने कहा कि हमारी पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के निवारक और प्रोत्साहन देने वाले दृष्टिकोण ने आज आधुनिक युग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेषकर जब हाल के दिनों में वैश्विक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ था। केंद्रीय आयुष मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी शासन के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा की सामंजस्यपूर्ण और समन्वित रणनीतियों को लागू करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बल देते हुए कहा कि “भारत पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में एक सॉफ्ट पावर होने के नाते स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्यों में इन खतरनाक परिवर्तनों के शमन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य की अवधारणा को एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है और भारत के पास विश्व भर के चिकित्सा मूल्य यात्रियों के कल्याण के उद्देश्य से पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल उपचार या आयुष उपचार प्रस्तुत करने का अनूठा लाभ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा का एकीकरण सभी के लिए किफायती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने का एक अनिवार्य पहलू है, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में।

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प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल ने कहा कि “सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज देश की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर सीमित नहीं है। भारत वन अर्थ वन हेल्थ का विजन रखता है, हमारा उद्देश्य हील बाई इंडिया के माध्यम से अन्य देशों को और हील इन इंडिया के माध्यम से आने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। राज्य मंत्री ने कहा, “हमें वैश्विक स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क की सुविधा के लिए हितधारकों-अस्पतालों, चिकित्सा सुविधाओं, बीमा कंपनियों, स्वास्थ्य सेवा संघों और सरकारी निकायों के बीच तालमेल बनाना चाहिए, जिसके मूल में रोगी कल्याण हो।

मेडिकल वैल्यू ट्रैवल संरचना से समर्थित मूल्य-आधारित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री सुधांश पंत ने कहा कि “हमें अपनी कई स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एक समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली तब प्राप्त होगी जब रोगियों को भौगोलिक सीमाओं से परे चिकित्सा परामर्श, उपचार, पोस्ट-ऑपरेटिव उपचार और फॉलो-अप देखभाल सहित सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला से चुनने का अधिकार दिया जाएगा।

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टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस ने कहा कि मेडिकल वैल्यू ट्रैवल देशों को उनकी राष्ट्रीय क्षमताओं के निर्माण में पूरक के रूप में काम कर सकता है। देश मेडिकल वैल्यू ट्रैवल का लाभ उठाते हुए विशेषज्ञ संसाधन और सेवाएं प्रस्तुत कर सकते हैं जो दुनिया के अन्य हिस्सों में उपलब्ध, किफायती या सुलभ नहीं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य एक बड़ी संपत्ति है क्योंकि यह रोगियों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों जैसे प्लेटफार्मों पर टेलीमेडिसिन के माध्यम से चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। डिजिटल स्वास्थ्य सबसे भीतरी क्षेत्रों और उन रोगियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने की सामर्थ्य की खाई को पाटता है जो सेवाओं को वहन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने आज यूरोपीय संघ, जर्मनी और सऊदी अरब के साथ विभिन्न द्विपक्षीय बैठकें कीं। द्विपक्षीय बैठकों ने एक स्वस्थ कल की खोज में सहयोग और साझा प्राथमिकताओं के क्षेत्रों को प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान किया।

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यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय बैठक में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने और आयुर्वेद टेलीमेडिसिन पर विशेष फोकस के साथ अन्य डोमेन के बीच रोग निगरानी और क्षमता निर्माण के लिए सहयोग के क्षेत्रों की खोज, यूरोपीय संघ-आधारित दवा कंपनियों, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल और मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान में संभावित संयुक्त सहयोगी उद्यमों के लिए भारत में क्लिनिकल ट्रायल और अनुसंधान पर फोकस किया गया। आगे का मार्ग न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद, डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक पहल और चिकित्सा काउंटर उपायों की स्थापना होंगे।

सऊदी अरब के साथ बैठक में नियामक आवश्यकताओं, संयुक्त उद्यमों, विशेष रूप से एपीआई में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर अनुभवों और श्रेष्ठ व्यवहारों का आदान-प्रदान शामिल था ताकि आपूर्ति श्रृंखलाओं की जोखिम को कम किया जा सके और उनमें लचीलापन बढ़ाया जा सके। उन्होंने दवा नियामकों और फार्माकोपिया के बीच फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग, चिकित्सा मूल्य यात्रा के माध्यम से मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने, डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं को बढ़ावा देने तथा डिजिटल स्वास्थ्य में सहयोग और पारंपरिक चिकित्सा तथा योग में सहयोग की दिलचस्पी व्यक्त की। भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग की अपार संभावनाओं का लाभ उठाने और महसूस करने के लिए संयुक्त उद्यमों के रूप में निवेश, अनुसंधान एवं विकास और सहयोग को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भविष्य की आकांक्षाओं में स्वास्थ्य क्षेत्र सहयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना, पारंपरिक दवाओं सहित भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) की मान्यता और स्वीकृति तथा चिकित्सा मूल्य यात्रा के क्षेत्र में आशय पत्र का प्रस्ताव करना शामिल है।

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जर्मनी और भारत की बैठक औषधि क्षेत्र में / औषधि नियामकों के बीच और फार्माकोपिया, आईसीएमआर और संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय में सहयोग, चिकित्सा मूल्य यात्रा के माध्यम से मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने, पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग, डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं को बढ़ावा देने और डिजिटल स्वास्थ्य में सहयोग पर केंद्रित थी। भविष्य के कार्यक्रम में आईसीएमआर और जर्मन रिसर्च फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग, भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते की विशेष व्यवस्था के अंतर्गत आईसीएमआर और संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ) के बीच सहयोग, विज्ञान और न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद में संशोधन, चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर सीडीएससीओ और फेडरल इंस्टीट्यूट फॉर ड्रग एंड मेडिकल डिवाइसेज ऑफ जर्मनी (बीफारएम) पॉल एर्लिच इंस्टीट्यूट ऑफ फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी (पेई) के बीच आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर शामिल हैं।

इस अवसर पर एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी कमला वर्धन राव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री विशाल चौहान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती अराधना पटनायक, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अभिषेक सिंह, सरकारी अधिकारी, सीआईएस, आसियान, सार्क, अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्रों सहित 70 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और उद्योग जगत के अधिकारी भी उपस्थित थे।

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