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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भड़के व्यापारी संगठन

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देहरादून। आज उत्तरांचल प्रेस क्लब मे डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ उत्तराखंड, जनरल मर्चेंट्स एसोसिएशन, युवा व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन, प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने प्रेस वार्ता करते हुये मीडिया कर्मियों को बताया कि कल मतदान के दिन उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। इस अवकाश में शासकीय, गैर शासकीय,सभी प्रकार की शिक्षण संस्थाएं और सभी प्रकार के व्यापारिक प्रतिष्ठान एवम् उनमें व्यापारिक गतिविधियां पूर्णतः बंद थी। परंतु प्राप्त सूचना के अनुसार बिलंकिट एवं अन्य ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा अपनी दुकानदारी और अपना व्यापार भरपूर तरीके से चलाया गया इसके साथ ही शहर के तमाम बड़े-बड़े मॉल एवं रिजॉर्ट्स पूर्णतया खुले रहे जिससे की वोटिंग भी प्रभावित हुई है, सुबह से लेकर के शाम तक व्यापार बिना किसी भय एवं बाधा के लगातार व्यापार किया गया। जो कि देहरादून के जितने भी व्यापारी थे उनके आर्थिक हितों के ऊपर बहुत ही बड़ा कुठाराघात है, आज प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्लिंकीट और ई कॉमर्स ने अपने औसत व्यापार से अनुमानित चार गुना व्यापार किया, जो कि अंततः कहीं ना कहीं देहरादून के अनुशासित रिटेलर, खुदरा व्यापारी और उनके आर्थिक स्थिति को प्रभावित करेगा। हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि यह जो कारोबार हुआ यह सरकार की मर्जी से हुआ या सरकार की मर्जी के विपरीत हुआ। अगर मर्जी से हुआ तो क्या यह आगे भी जारी रहेगा और मर्जी के विपरीत हुआ तो सरकार क्या दंडात्मक कार्यवाही कर रही है। सरकार भारत के 6 करोड़ रिटेलर को और प्रत्येक रिटेलर के ऊपर अगर पांच आदमी का परिवार और एक कर्मचारी को हम लगाये तो यह गणना लगभग 40 करोड़ की जनसंख्या बैठती है। क्या भारत सरकार बिलंकिट जैसी कंपनी के माध्यम से या इ-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से इन 40 करोड़ भारतीयों की विशाल जनसंख्या को नजरअंदाज कर रही है? अगर भारत सरकार चाहती है कि यह खुदरा व्यापारी बचा रहे, और इनका व्यापार एवम परिवार भुखमरी से बचा रहे, तो कहीं ना कहीं भारत सरकार को आगे बढ़कर अपने टैक्स के लालच को त्यागकर इन इ-कॉमर्स कंपनियों पर लगाम लगानी पड़ेगी। इनके अनाप शनाप मार्जिनों , गलत परम्पराओं पर लगाम लगानी पड़ेगी। ई कॉमर्स कंपनियां विभिन्न प्रकार के गलत प्रलोभन देकर के भारतीय उपभोक्ता को अपने मकड़ जाल के अंदर कस रहे हैं। अगर ई कॉमर्स कम्पनी का ₹200 का बिल बनता है तो कम्पनी उसके ऊपर 125 रुपए का डिस्काउंट दे देती हैं। यह इतना कुछ ग्राहक को दे देते हैं कि जो रिटेलर और होलसेलर की खरीद मूल्य से भी विस्मयकारी रूप से बहुत नीचे होता है। सरकार को अपनी मंशा साफ करनी पड़ेगी कि वह खुदरा व्यापारियों के पक्ष में है या इन बिलंकिट,और ई-कॉमर्स कंपनियों के पक्ष में रहकर के खुदरा व्यापारियों के हितों पर चोट पहुंचा कर व्यापार करवाना चाहती है। करोना जैसी महामारी के अंदर ये केवल भारतीय खुदरा व्यापारी ही थे जिन्होंने भारत की आर्थिक व्यवस्था को संभाला, भारत की जनता को संभाला दिन-रात अपने स्वास्थ्य के परवाह ना करते हुए सारी आवश्यक वस्तुएं समस्त जनता को उपलब्ध कराई। परंतु उनके साथ भारतीय सरकार का यह जो सौतेला व्यवहार है उसके लिये हम इस प्रेस वार्ता के माध्यम से भारत सरकार को चेताते हुए आग्रह करते हैं बिलंकिट और ई-कॉमर्स जैसी कंपनियों के ऊपर तत्काल प्रभाव से रोक लगाये। जिससे भारत के यह 6 करोड़ रिटेलर और उनके ऊपर आश्रित 40 करोड़ की विशाल जनसंख्या को भुखमरी एवम बेरोजगारी से बचाया जा सके। इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से हम सभी प्रकार की कंपनियों को जो भी मैन्युफैक्चरिंग में लगी है उनको चेताना चाहते हैं एक तरफ तो बिलंकिट जैसी कंपनियों को अपने उत्पाद पर 20 से 50% प्रतिशत का मार्जिन देती है और उनके लिए विशेष रूप से सेलिंग पैक बनाकर ओर उनके ऊपर विशेष अलग (बाजार से भिन्न) प्राइस कोडिंग करती है। और दूसरी तरफ जो भारत के खुदरा व्यापारी है ,होलसेलर हैं उनके लिए यह केवल 4% का या 5% के मध्य मुनाफा देती है।ओर रिटेलर को भी केवल 10 से 12% मुनाफा ही देती है। हम ऐसी सभी कंपनियों से मांग करते हैं कि सभी कंपनी भारतीय रिटेलर को भी ई-कॉमर्स के समान मार्जिन की पद्धति अपनाये जिससे भारतीय रिटेलर ई-कॉमर्स कंपनियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ सके ,और उपभोक्ता- रिटेलर में जो एक आपसी समन्वय और भरोसा होता है उसको कायम रख सके। इस संबंध में पूरे देश में एक मुहिम चलाई जा रही है। जो ई-कॉमर्स और बड़े-बड़े विदेशी प्लेटफार्म के खिलाफ शुरू हो गई है उसका भी हम साथ देने जा रहे हैं और पूरे उत्तराखंड में इसको जोर-शोर से हम चलाएंगे। इस मुहिम में हम कंपनियों से मांग कर रहे है कि जो डिस्काउंट वह ई-कॉमर्स को दे रहे हैं उतना डिस्काउंट वह रिटेलर्स को भी दे, ऐसा होने से उपभोक्ता को हमारा रिटेलर ई-कॉमर्स से भी बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। प्रेस वार्ता के माध्यम से हम रिटेलर से भी अपील करना चाहते हैं कि वह ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से बिल्कुल माल ना खरीदे, ई कॉमर्स कंपनियांआप खुदरा व्यापारियों के, रिटेलर्स के माध्यम से अंतिम उपभोक्ता ग्राहक तक पहुंचाना चाहते हैं जिसको वह रिटेलर माल बेचता है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का एक ही मकसद है की वह कंपनी से माल खरीद कर सीधे वह ग्राहक को बेचे और जितने यह 40 करोड़ के अनुमान में देश के खुदरा व्यापारी और उनके आश्रित हैं उनका मुख्य धारा से बाहर कर देश को,यहां की भोली भाली जनता को ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह से आर्थिक गुलाम बना सके। इस आशा के साथ की सरकारी आदेश की अव्वल न करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार और इलेक्शन कमीशन संज्ञान लगी भारत सरकार 40 करोड़ भारतीय जो बेरोजगार और भुखमरी की तरफ बढ़ने के लिए अग्रसर है उनके प्रति कोई ना कोई सकारात्मक रुख शीघ्र अति शीघ्र कदम उठाएगी। और पूरे देश की कंपनियां जो अपने पूरे उत्पाद ई-कॉमर्स के माध्यम से और बड़े-बड़े विदेशी घरानो के माध्यम से बिकवाती है वह मुनाफे के अनुपात को बराबर करते हुए देश के खुदरा व्यापार को भी जीने का मौका देगी। आज की प्रेस वार्ता में डिस्ट्रीब्यूटर ऑफ उत्तराखंड के संरक्षक राजेश सिंगल, संजीव अग्रवाल, अध्यक्ष विवेक अग्रवाल, मंत्री कमलजीत शर्मा, वरिष्ठ उपप्रधान विवेक सिंगल,अनिल भोला, सुधीर अग्रवाल, अजय गर्ग, वरिष्टउपमंत्री अजय मित्तल, मुकेश गुप्ता, अनिल अग्रवाल, शुभम गर्ग, नितिन प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल से महामंत्री विवेक अग्रवाल और कोषाध्यक्ष अशोक ठाकुर, जनरल मर्चेंटस् एसोसिएशन से संरक्षक सुधीर जैन, मंत्री अशोक ठाकुर, कोषाध्यक्ष अजय गर्ग, उप मंत्री आयुष जैन, सदस्य कार्यकारिणी धन प्रकाश गोयल, सुविधा स्टोर एवं ए एस स्टोर्स रिटेल चेन के मालिक एवं संचालक श्री सुरेश गुप्ता जी और श्री अनुराग अग्रवाल जी क्रमशः विशेष तौर पर मौजूद रहे। युवा व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन से प्रधान मनोज गोयल, मंत्री प्रतीक अग्रवाल, कोषाध्यक्ष मुकुल, सदस्य कार्यकारिणी अनुज गोयल आदि मौजूद रहे।

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