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शांतिकुंज में तीन दिवसीय नारी जागरण शिविर का समापन

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हरिद्वार 17 जुलाई। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में उत्तर प्रदेश की सक्रिय, समर्पित एवं कर्तव्यनिष्ठ बहनों के लिए आयोजित तीन दिवसीय नारी जागरण संगोष्ठी शिविर का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस शिविर में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से चयनित बहनों ने भाग लिया। इस दौरान मशाल यात्रा भी पूरे उत्साह के साथ निकाली गयी। प्रतिभागियों ने संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने भेंट कर आशीष व मार्गदर्शन लिया। अपने संदेश में श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि नारी जागरण समाज के नैतिक और आध्यात्मिक पुनर्निर्माण की नींव है। जब एक नारी शिक्षित, जागरूक और आत्मनिर्भर होती है, तब वह केवल अपने परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को दिशा देती है। हमें युग निर्माण की इस महायोजना में सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। समापन सत्र को संबोधित करते हुए गायत्री परिवार महिला मंडल प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने कहा कि आत्मीयता का विस्तार ही गायत्री परिवार की धुरी है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापकद्वय युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य और वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा ने सम्पूर्ण मानवता में प्रेम, आत्मीयता और सद्भाव फैलाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि अब समय की पुकार है कि हम इस विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए उप्र के हर जनपद के गाँव-गाँव में देव परिवारों की स्थापना करें। देव परिवार वह है, जहाँ का वातावरण सौहार्द्रपूर्ण हो, संस्कारों से पूरित हो और आपसी आत्मीयता से भरा हुआ हो। इससे पूर्व युवा प्रकोष्ठ समन्वयक श्री केदार प्रसाद दुबे ने नारी शक्ति को समाज निर्माण की आधारशिला बताते हुए कहा कि यदि नारी सशक्त होती है तो परिवार, समाज और राष्ट्र स्वतः सशक्त बनता है। सुश्री दीनाबेन त्रिवेदी ने गायत्री परिवार की नारी चेतना को एक जन आंदोलन बताते हुए कहा कि यह आंदोलन महिलाओं को शिक्षित, आत्मनिर्भर एवं संस्कारित बनाकर नेतृत्व की भूमिका में स्थापित करने के लिए कार्यरत है। शिविर में प्रतिभागियों को विभिन्न विषयों जैसे नारी जागरण का उद्देश्य-स्वरूप, देव परिवार निर्माण अभियान, रचनात्मक कार्यक्रमों में नारियों की भागीदारी, जन्मशताब्दी वर्ष और हमारे दायित्व आदि विषयों पर व्याख्यान, समूह चर्चाओं के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। गायत्री परिवार की विषय विशेषज्ञों द्वारा संचालित सत्रों में बहनों को अपने-अपने क्षेत्र में जन्मशतादी कार्यक्रमों को विस्तार करने, नारी जागरण अभियान चलाने, स्वस्थ समाज निर्माण में योगदान देने और आध्यात्मिक मूल्यों के साथ सामाजिक नेतृत्व निभाने के लिए मार्गदर्शन दिया गया।

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