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साहित्य, संस्कृति और सृजन का केन्द्र- लेखक गांव: पद्मश्री डॉ संजय

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देहरादून, 6 नवम्बर। उत्तराखंड सदियों से अपने धार्मिक चार धामों के लिए प्रसिद्ध रहा है, पर अब यह प्रदेश साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर है। आने वाले समय में उत्तराखंड केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि बौद्धिक और सृजनात्मक ऊर्जा का भी केंद्र बनेगा। देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के समीप, हिमालय की मनोरम गोद में बसे थानो क्षेत्र में देश का प्रथम लेखक गांव अस्तित्व में आया- जो आज डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के संरक्षण और उनके परिवार के स्नेह व समर्पण से निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। लेखक गांव का शुभारंभ भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी एवं पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी के कर-कमलों से हुआ था। केवल एक वर्ष के भीतर इस स्थल ने साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में जो विशिष्ट पहचान बनाई है, वह अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक है। हाल ही में 3 से 5 अक्टूबर 2025 तक यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ने लेखक गांव की ख्याति को वैश्विक स्तर पर पहुंचा दिया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री श्री किरण रिजीजू के द्वारा अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में किया गया। इस भव्य आयोजन का समापन माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर देश-विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कवियों, कलाकारों और चिंतकों ने भाग लेकर इस भूमि को सृजन, संवाद और संवेदना का केंद्र बना दिया। लेखक गांव की अवधारणा डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की दूरदर्शी सोच का साकार रूप है-जहां साहित्य, संस्कृति और प्रकृति का त्रिवेणी संगम देखने को मिलता है। केवल दो वर्षों में लेखक गांव ने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं, वे किसी चमत्कार से कम नहीं। भविष्य में यह स्थल उत्तराखंड के चार धामों के समान ही एक साहित्यिक धाम के रूप में प्रतिष्ठित होगा-जहां देश-विदेश से साहित्यप्रेमी, कलाकार, पर्यटक और शोधार्थी आकर्षित होंगे। लेखक गांव केवल शब्दों का केंद्र नहीं, बल्कि संवेदना, सृजन और संस्कारों का संगम है। यहां साहित्य, कला और प्रकृति का ऐसा अद्भुत मेल दिखाई देता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा। पर्यावरण संरक्षण, लोकसंस्कृति के संवर्धन और सृजनशील प्रतिभाओं के उत्थान में लेखक गांव की भूमिका निस्संदेह अद्वितीय और प्रशंसनीय है। मैं स्वयं लेखक गांव की परिकल्पना के प्रारंभ से ही इसका साक्षी और सहभागी रहा हूं। लेखक गांव के संरक्षक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ से मेरा 25 वर्षों से अधिक का आत्मीय संबंध रहा है, और उनके परिवार से भी घनिष्ठ परिचय है। उनके समर्पण, दृष्टिकोण और सांस्कृतिक चेतना को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास है कि लेखक गांव का वर्तमान ही नहीं, भविष्य भी सुरक्षित और उज्ज्वल हाथों में है। आने वाले वर्षों में यह स्थल न केवल साहित्य, कला और संस्कृति का केंद्र बनेगा, बल्कि आयुष, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक मील का पत्थर साबित होगा।

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