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जानिए उत्तराखंड के प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में

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उत्तराखंड में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं जिनके बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहां पूरी होती हैं। इन पौराणिक शिव मंदिरों में से कई का संबंध सीधे महाभारत काल से जुड़ा है। वैसे भी उत्तराखंड को शिवजी का ससुराल माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं में उत्तराखंड में कई देवी-देवताओं का निवास स्थल बताया जाता है। ये ही वजह है कि इसे देवभूमि कहा जाता है। यानी देवताओं की सबसे पवित्र भूमि। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना है। यहां कण कण में देवी देवताओं का वास है। इतना ही नहीं यहां देवों देव महादेव भी विराजमान हैं। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल बाबा केदार का धाम केदानाथ का मंदिर भी है।

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1 केदारनाथ धाम :- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है केदारनाथ धाम। यह देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां भगवान शिव लिंग रूप में विराजमान हैं। स्कंद पुराण के केदार खंड में इसका उल्लेख हुआ है। कहा जाता है कि पांडवों के वंशज जन्मेजय ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में हुआ है। बाद में आदि शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया। हलांकि, यह मंदिर छह माह के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। शीतकाल में इसके कपाट बंद रहते हैं।


2 जागेश्वर धाम :- उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में स्थित है जागेश्वर धाम। ऐसा कहा जाता है कि यह प्रथम मंदिर है, जहां लिंग के रूप में शिव पूजन की परंपरा सबसे पहले शुरू हुई। इसे भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। इस मंदिर को योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में भी मिलता है।

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3 गोपीनाथ मंदिर :- उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है गोपीनाथ मंदिर। यहां मंदिर परिसर में भगवान शिव का त्रिशूल है। मान्यता है कि त्रिशूल पर इतनी शक्ति है कि कितना भी बलशाली इसे हिला नहीं सकता है। यदि तर्जनी अंगुली त्रिशूल पर एकाग्र होकर लगाई जाए तो यह कंपन करने लगता है। मंदिर के अंदर जाने के लिए 24 पौराणिक दरवाजे हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां पर कामदेव को भस्म किया था।

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4 विश्वनाथ मंदिर :- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है प्राचीन विश्वनाथ मंदिर। प्राचीन समय में उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी कहा जाता था। केदारखंड में ही बाड़ाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है। पुराणों में इसे सौम्य काशी भी कहा गया है।

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5 टपकेश्वर महादेव मंदिर :- उत्तराखंड के देहरादून जनपद में शहर से करीब छह किलोमीटर दूर गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में तमसा नदी के तट पर स्थित है ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर। महाभारत काल से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए। गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ।

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6 दक्षेश्वर महादेव मंदिर :- उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर है।

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7 बाबा बागनाथ मंदिर :- उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में सरयू-गोमती नदियों के संगम पर स्थित है प्रसिद्ध शिवालय बागनाथ मंदिर है। यह मंदिर चंदवंशीय राजा लक्ष्मीचंद ने वर्ष 1602 में निर्मित करवाया था। बाघ एवं गाय रूपी शिव और पार्वती ने मार्कंडेय मुनि के समक्ष अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए। इसे व्याघ्रेश्वर कहा जाने लगा जो कालांतर में बागनाथ बना।

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8 बूढ़ाकेदार धाम :- उत्तराखंड में टिहरी जिले में स्थित है प्रसिद्ध धाम बूढ़ाकेदार धाम। मान्यता है कि यहां का शिवलिंग पूरे उत्तर भारत में सबसे विशाल है। यह शिव मंदिर धर्म गंगा और बाल गंगा के संगम पर स्थित है। मान्यता है कि ब्रह्मा ने ब्रम्हांड की रचना करने से पहले यहां तप किया था।

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9 बैजनाथ मंदिर, बैजनाथ: बैजनाथ मंदिर गोमती नदी के पावन तट पर बसा हुआ है। यह उत्तराखंड के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। उत्तराखंड की कई लोक गाथाओं में बैजनाथ मंदिर का जिक्र आता है। इस शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान बैजनाथ से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1204 ईस्वी में हुआ था। मंदिर की वास्तुकला और दीवारों की नक्काशी बेहद आकर्षक है। मंदिर के अदंर आपको शिलालेख भी दिखाई देंगे।

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10 रुद्रनाथ मंदिर: भगवान शिव का यह मंदिर गढ़वाल के चमोली जिले में है। यह मंदिर पंच केदार में शामिल है। मंदिर समुद्र तल से 2220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर के भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है जबकि शिव के पूरे धड़ की पूजा पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल) में की जाती है।

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11 तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग: यह भगवान शिव का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में है। यह प्राचीन मंदिर भी पंच केदार में शामिल है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने पूजा की थी और मंदिर का निर्माण करवाया था।

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12 बालेश्वर मंदिर चंपावत: यह भी भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में शामिल है। मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी से ही इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। इस मंदिर में कई सारे शिवलिंग मौजूद हैं। इस मंदिर में मौजूद शिलालेख के मुताबिक इसका निर्माण 1272 के दौरान चंद वंश द्वारा किया गया था।

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