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उत्तराखंड

साधना सप्ताह का शुभारम्भ

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 ऋषिकेश।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देवउठनी एकादशी के अवसर पर हर घर तुलसी, घर-घर तुलसी रोपण का संदेश देते हुये कहा कि अब समय आ गया है कि तुलसी जी के महत्व को पूरा विश्व समझे। साधना सप्ताह के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि स्वयं को साधना ही वास्तविक साधना है। हम ध्यान तो करें लेकिन ध्यान के साथ-साथ अपनी धरती, जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों का भी ध्यान करें ताकि ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेंट चेंज जैसी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। वर्तमान समय में हमें बाहर के पर्यावरण के साथ भीतर के पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा इसलिये प्राणायाम साधना के साथ पर्यावरण साधना, पेड़ साधना को भी अपनाना होगा क्योंकि पेड़ होगे तो प्राणायाम हो सकेगा और पेड़ नहीं होगे तो प्राणायाम भी असरकारी नहीं होगा। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय दर्शन और संस्कृति में तुलसी जी का विशेष महत्व हैं। तुलसी महाऔषधी हैं क्योंकि यह औषधीय गुणों से युक्त है। तुलसी जी की लकड़ी में विद्युतीय गुण होता है इसलिये तो तुलसी की माला भी धारण की जाती है, जिससे शरीर में विद्युतीय प्रभाव बढ़ जाता है इसी कारण अनेक रोगों के आक्रमण से बचा जा सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि तुलसी जी रोगों से हमारी रक्षा करती है।

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अथर्ववेद के अनुसार तुलसी जी में त्वचा सम्बंधित अनेकों रोगों को नष्ट करने की क्षमता है। महर्षि चरक और सुश्रुत जी ने भी श्वास रोग, पाश्र्वशुल, वातनाशक, कफनाशक, अपचन, खांसी आदि अनेक रोगों में तुलसी को अत्यधिक लाभदायक माना है। तुलसी शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने का सर्वोत्तम माध्यम भी है। पर्यावरणविद्ों ने भी तुलसी के पौधों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना हैं, पर्यावरण को शुद्ध करने वाला पौधा माना है तथा इसमें शरीर को स्वस्थ करने के चमत्कारी गुण मौजूद हैं। आयुर्वेद हो, होमियोपैथी हो, युनानी हो या घरेलु नुस्खे हो सभी ने तुलसी को औषधिय गुणों से युक्त पाया हैं।

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पर्यावरण के संतुलन, आत्मिक विकास, शरीर के शोधन, इम्यूनिटी के संर्वद्धन के लिये घर-घर में तुलसी जी का रोपण करें। हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथों और पुराणों में तुलसी के पौधे का महत्व बताया गया है। पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और गरुड़ पुराण में तुलसी के पौधे का वर्णन किया गया हैं। भगवान श्री विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा तुलसी दल के बिना पूरी नहीं होती। तुलसी दल के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित होता है तथा तुलसी के पौधे में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने हेतु शरीर को सक्षम बनाते हैं। साथ ही तुलसी का पौधा घर में होने से घर का वातारण शुद्ध होता है तथा संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी कारगर है। साधना सप्ताह के शुभारम्भ के अवसर पर स्वामी जी ने सभी को तुलसी के रोपण और संवर्द्धन का संकल्प कराया।

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