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मौनी अमावस्या पर करे गंगा स्नान

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देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस मास को काफी शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान के साथ दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

 

पंचांग के अनुसार साल 2023 की पहली अमावस्या है। इस अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान दान के साथ पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी शुभ माना जाता है जानिए डॉक्टर आचार्य सुशांत राज से मौनी अमावस्या की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व। माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 जनवरी, शनिवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा। और माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का समापन 22 जनवरी, रविवार को सुबह 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के आधार पर मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023, शनिवार को है।
मौनी अमावस्या 2023 पर बन रहा शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 07 बजकर 14 मिनट तक
हर्षण योग- 21 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 34 मिनट तक

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स्नान -दान का शुभ मुहूर्त :- मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन सूर्योदय के समय गंगा स्नान जरूर करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें और मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान कर लें। ऐसा करने से गंगा में स्नान करने के बाद पुण्य की प्राप्ति होगी। पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 53 मिनट के बीच स्नान करना काफी शुभ होगा।
माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा स्नान व ध्यान करते है। संगम में स्नान के संदर्भ में एक अन्य कथा का भी उल्लेख आता है, वह है सागर मंथन की कथा। कथा के अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जा गिरी। यही कारण है कि यहाँ की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ती है तब इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुम्भ लगा हो तब इसका महत्व अनन्त गुणा हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए।

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इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमवस्या। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तो के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते हैं इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।

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