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15 अक्टूबर को होगी कलश स्थापना : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

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देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की सनातन धर्म में नवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में वैसे तो सालभर में चार बार नवरात्रि मनाई जाती हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि होती हैं, लेकिन शारदीय नवरात्रि का महत्व सबसे खास होता है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है। नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी धरती लोक पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हरकर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर 2023, शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 15 अक्टूबर रविवार को देर रात 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि को देखते हुए शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरू होगी। इसी दिन कलश स्थापना किया भी किया जाएगा।

शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुल्क प्रतिप्रदा से शुरू होती है और नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है। नौ दिन शक्ति की अराधना वाले शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन माह के शुल्क प्रथम तिथि से होती है। पहले दिन घट स्थापना के साथ दुर्गा पूजा और नवरात्रि व्रत का आरंभ हो जाता है। नौ दिन के नवरात्रि के बाद दसवें दिन दशहरा या विजयादशमी मनाई जाती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 2023 में आश्विन माह के शुल्क पक्ष की प्रतिप्रदा 14 अक्टूबर का है।

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पंचाग के अनुसार वर्ष 2023 में आश्विन माह के शुल्क पक्ष की पहली तिथि 14 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से शुरु होगी. यह तिथि 15 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसलिए सूर्य उगने की तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरु होगी।

शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना होती है। शारदीय नवरात्रि के लिए 15 अक्टूबर को दिन में 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट कलश स्थापना का मुहूर्त रहेगा। शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी की तिथि 22 अक्टूबर को पड़ रही है। महा अष्टमी के दिन इस दिन महागौरी की पूजा होगी और घरों के देवी की स्वरूप कन्याओं को जिमाया जाएगा।

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दुर्गा पूजा का पर्व इस वर्ष 20 अक्टूबर 2023 से 24 अक्टूबर 2023 तक मनाया जाएगा। हर साल पंडाल बनाए जाते हैं जहाँ महिषासुर का वध करने वाली माँ दुर्गा की सुंदर मूर्तियाँ रखी जाती हैं। मां दुर्गा के साथ लक्ष्मी, गणेश, कार्तिकेय और सरस्वती भी देखे जाते हैं जिनकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि की पूजा तिथियां

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नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा 15 अक्टूबर 2023

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 16 अक्टूबर 2023

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नवरात्रि का तीसरा दिन      मां चंद्रघंटा की पूजा 17 अक्टूबर 2023

नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा 18 अक्टूबर 2023

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नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा 19 अक्टूबर 2023

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा 20 अक्टूबर 2023

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नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा 21 अक्टूबर 2023

नवरात्रि का आठवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा 22 अक्टूबर 2023

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नवरात्रि का नौवां दिन मां महागौरी की पूजा 23 अक्टूबर 2023

विजयदशमी दशहरा पर्व  24 अक्टूबर 2023

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24 अक्टूबर विजयादशमी, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन

कलश स्थापना विधि

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शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें।

फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें।

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इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें।

साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।

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फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।

एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आहवाहन करें।

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फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

 

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