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24 अक्टूबर को मनाया जाएगा दशहरा का पर्व : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

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देहरादून। विजयदशमी का त्योहार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत हासिल की थी। इसलिए आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन रावण के साथ कुंभकर्ण और इंद्रजीत के पुतलों का दहन भी किया जाता है। इस साल विजयदशमी का त्योहार 24 अक्तूबर 2023 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन बुराई का समापन कर एक नई शुरुआत की जा सकती है। वहीं दशहरे के दिन जरूरतमंद व्यक्ति को दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अक्सर बच्चे घर में ही रावण का पुतला बनाकर उसका दहन करते है। साथ ही कई सोसाइटी या कॉलोनी में भी इस तरह के प्रोग्राम किए जाते है। ऐसे में रावण दहन का मुहूर्त 24 अक्तूबर शाम 05 बजकर 43 मिनट के बाद का रहेगा।

डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की दशहरा/विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है। दशहरा का पर्व इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। रावण दहन के साथ-साथ इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। दशहरे का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। शस्त्र का प्रयोग करने वाले लोग इस दिन शस्त्र पूजन भी करते हैं। वहीं कई लोग इस दिन पुस्तकों और वाहनों की भी पूजा की जाती है. किसी नए काम को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। कई जगहों पर दशहरे के दिन नया सामान खरीदने की भी परंपरा है। अधिकतर जगहों पर इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है। दशहरे का त्योहार सामाजिक एकता, सहयोग और सौहार्द का प्रतीक है। दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है। इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं।  दशहरे के दिन पूरे श्रद्धा भाव से श्री रामचरितमानस का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है।  दशहरे के दिन गुप्त दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, ऐसे में इस दिन भूलकर भी कोई बुरा कार्य नहीं करना चाहिए।

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मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आशीर्वाद प्राप्त करना है तो अपनी गलती से भी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए। किसी व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। विजयादशमी के दिन न तो किसी के साथ वाद-विवाद करें और न हीं किसी को झूठ या कटु वचन बोलें। इस दिन व्यक्ति को मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए। इस दिन पेड़-पौधों को काटना भी अशुभ माना जाता है।

भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश करने के लिए कई अवतार लिए। त्रेतायुग भगवान राम श्रीहरि भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर अधर्म पर पुन: धर्म की स्थापना की थी। इस दिन को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है। विजयदशमी पर दस सिरों वाले रावण के अंत की वजह से ही इसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने नौ दिन तक महिषासुर से युद्ध किया था और फिर विजयदशमी के दिन उसका संहार किया। वहीं रावण के माता सीता का अपहरण करने के बाद प्रभु श्रीराम ने अश्विन शुक्ल दशमी तिथि पर मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से अहंकारी रावण का अंत कर दिया। रावण का वध असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। मान्यता है जो इस दिन विजय मुहूर्त में भगवान राम, देवी दुर्गा का पूजन करता है शत्रु पर विजय प्राप्त होने का वरदान मिलता है और सर्वकार्य सिद्ध हो जाते हैं।

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नए साल में विजयदशमी यानी दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर 2023 मंगलवार को मनाया जाएगा। ये दिन भगवान राम के लंका नरेश रावण का अंत कर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

दशहरा 2023 मुहूर्त :-

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हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर हो रही है और 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर दशमी तिथि का समापन हो जाएगा।

श्रवण नक्षत्र शुरू- 22 अक्टूबर 2023, शाम 06:44

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श्रवण नक्षत्र समाप्त – 23 अक्टूबर 2023, शाम 05:14

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 04 – दोपहर 02 बजकर 49 (24 अक्टबूर 2023), अवधि – 00 घण्टे 45 मिनट

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अपराह्न पूजा का समय – दोपहर 01 बजकर 19 – दोपहर 03 बजकर 35 (24 अक्टूबर 2023), अवधि – 02 घण्टे 16 मिनट

 

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