देहरादून। कभी पत्रकारिता के क्षेत्र में झंडे गाढ़ने वाले उमेश बड़ा राजनीतिक चेहरा बन चुके है। हरिद्वार जनपद की खानपुर विधानसभा सीट पर राजघराने को हराकर निर्दलीय विधायक बने उमेश शर्मा ने खानपुर में कदम रखते ही अच्छे-अच्छे चैम्पियन की नींद उड़ाकर रख दी। हालात यह हुए कि जब उमेश शर्मा ने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए हरिद्वार से देहरादून जनपद के धर्मपुर क्षेत्र में होड़िग लगाये तो भाजपा -कांग्रेस में खलबली मच गयी। दोनों राष्ट्रीय पार्टियां यह सोचकर विचलित थी कि यदि वास्तव में विधायक उमेश शर्मा चुनाव मैदान में उतर गये तो उनका सामना हरिद्वार लोकसभा सीट पर कौन करेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही। लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही उमेश शर्मा ने नामांकन करने की तिथि घोषित कर दी। भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काटकर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री राजनीतिक वनवास झेलने वाले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं कांग्रेस से पहले हरीश रावत के चुनाव लड़ने की बात कहीं जा रही थी लेकिन अंतिम क्षणो में पार्टी ने हरीश रावत के पुत्र विरेन्द्र रावत को चुनाव मैदान में उतार दिया। उमेश शर्मा अब दोनों ही पार्टियों पर भारी पड़ते हुए नजर आ रहे है क्योंकि जब उमेश शर्मा पत्रकारिता के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे थे उस समय उन्होंने त्रिवेन्द्र सिंह रावत से लेकर हरीश रावत तक की नींदे उड़ाकर रखी हुई थी। हरीश रावत की तो उन्होंने सरकार हिला दी थी। अब उमेश शर्मा की काट न ही भाजपा के पास है और न ही कांग्रेस के पास। वैसे कांग्रेस के हालात तो पूरे देश मे ही डामाडोल चल रहे है। यदि कांग्रेस एक सीट हार भी जाती है तो उसे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं लेकिन भाजपा अब की बार 400 पार का नारा लेकर चल रही और यदि वह एक भी सीट हार जाती है तो उसके इस नारे पर पानी फिर जायेगा।