देहरादून। उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने 27 नवंबर से ग्राम पंचायत के कार्यकाल समाप्ति पर समस्त प्रधानों से कहा कि कोई भी अपना कार्यभार सरकार के प्रशासकों को विरोध स्वरूप नहीं सौपेंगे। इसके तहत अपना डिजिटल सिग्नेचर सहित अन्य दस्तावेज भी जमा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन महा पंचायत ही अब न्याय दिलायेगी। उन्होंने कहा कि अभी भी सरकार के पास वक्त है कि वह टकराव से बचने के लिए तत्काल अध्यादेश लाकर पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाए। उत्तराखंड के 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत में ग्राम पंचायत का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। 29 नवंबर को क्षेत्र पंचायत तथा 2 दिसंबर को जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। 12 जनपदों में प्रशासनिक समिति के माध्यम से निर्वाचित प्रतिनिधियों को दो वर्ष तक कार्य करने का मौका दिए जाने के लिए सरकार से वार्ता चल रही थी। सरकार ने इस मांग का परीक्षण भी करवा लिया है, लेकिन सरकार खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। केदारनाथ उपचुनाव में सरकार ने स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों को कार्यकाल अध्यादेश के माध्यम से बढ़ने का आश्वासन दिया था। इसलिए संगठन उप चुनाव को लेकर मौन रहा। सरकार पर संगठन की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा है। संगठन के राज्य संयोजक जगत मर्तोलिया ने मुख्यमंत्री सहित सभी आला अधिकारियों को पत्र भेज कर स्पष्ट ऐलान किया है कि पंचायतें अपने समस्त दस्तावेज तथा डिजिटल सिग्नेचर के उपकरण 28 नवंबर को किसी को भी नहीं सौपेंगे। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर से शुरू होने वाले अनिश्चितकालीन महापंचायत इस मांग को निर्णायक मोड पर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिया, लेकिन सरकार अभी भी अपने वायदे को पूरा नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल कैबिनेट की बैठक बुलाकर अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश लाकर कार्यकाल बढ़ाने का अपना वादा पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संगठन नहीं चाहता है कि सरकार से टकराव की स्थिति पैदा हो। अगर सरकार का मन टकराव पैदा करने का ही है तो संगठन इसके लिए भी तैयार है।
पंचायत और सरकार में टकराव की स्थिति
Advertisement
Advertisement
Advertisement