दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल ‘चिनाब रेल ब्रिज’ की चर्चा हर जगह हो रही है, लेकिन इस कामयाबी के पीछे 17 साल की मेहनत और धैर्य की मिसाल बनीं है माधवी लता।
जब हर चुनौती के आगे लोग झुकते हैं, वहां माधवी लता ने डटकर सामना किया।
17 साल तक इस प्रोजेक्ट से जुड़ी रहीं, हर मुश्किल को पार किया – और आज उनकी अडिग इच्छाशक्ति और समर्पण का नतीजा है कि भारत का यह इंजीनियरिंग चमत्कार न सिर्फ बना, बल्कि चालू भी हो चुका है।
बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स में जो लोग सच में हकदार होते हैं, उन्हें अक्सर भुला दिया जाता है –
मगर इस बार हमें कहना चाहिए:
‘माधवी लता, सलाम है तुम्हारी मेहनत को।’
चिनाब रेलवे ब्रिज जो कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च बृज माना जाता है भारत के जम्मू और कश्मीर में उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चिनाब रेलवे ब्रिज भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो न केवल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है, बल्कि कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण है।
चिनाब ब्रिज को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यह ब्रिज कश्मीर घाटी में रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ-साथ रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र में तेजी से सैन्य और सामरिक आवाजाही को सक्षम बनाता है।
इसकी शुरुआत 2003 में हुई थी, और 22 साल की कड़ी मेहनत के बाद, 6 जून 2025 को इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।
USBRL परियोजना के तहत कई चरणों में कार्य पूरा हुआ :
अक्टूबर 2009 : काजीगुंड-बारामूला खंड (118 किमी) शुरू हुआ।
जून 2013: बनिहाल-काजीगुंड खंड (18 किमी) का उद्घाटन।
जुलाई 2014: उधमपुर-कटरा खंड (25 किमी) का उद्घाटन।
2025 तक: 272 किमी में से 255 किमी का कार्य पूरा, केवल कटरा-रियासी (17 किमी) शेष।
सत्रह साल बाद सच किया चिनाब ब्रिज का सपना
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