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बचपन में हुई एक घटना के बाद द्रविड़ ने ठान लिया था की अब दुनिया जानेगी मेरा नाम

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दुनिया के महान बल्लेबाज़ों में शुमार और अब भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ हॉल ही में ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा के साथ एक पोडकास्ट कार्यक्रम में शामिल हुए। इस पोडकास्ट कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने जब स्कूल के दिनों में अपना पहला शतक ठोका था, तो उसने जिंदगी भर के लिए एक खास सीख दे दी।

‘इन द जोन’ नाम के इस कार्यक्रम को अभिनव बिंद्रा होस्ट कर रहे थे। इस मौके पर द्रविड़ ने बचपन के इस किस्से को याद किया। उनके शतक बनाने की खबर जब अखबार में छपी तो उनके नाम की स्पेलिंग ही गलत लिख दी गई। तब ‘द्रविड़’ का ‘डेविड’ छापा गया। इससे उन्हें अहसास हुआ कि शतक बनाने के बावजूद उस समय उनकी ज्यादा पहचान नहीं बनी थी।

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द्रविड़ ने कहा, ‘संपादक ने तब यही सोचा होगा कि उनके नाम में कोई स्पेलिंग की गलती है और कोई द्रविड़ नहीं हो सकता, तो यह डेविड ही होना चाहिए था. क्योंकि यह बहुत ही आम नाम था। लेकिन मैंने तभी ही सोच लिया कि यह मेरे लिए बड़ी सीख है कि स्कूल क्रिकेट में 100 बनाकर भले मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं लेकिन मेरी कोई पहचान नहीं है और लोग मेरा नाम तक नहीं जानते, और तो और उन्हें मेरे नाम पर भी भरोसा नहीं है कि यह सही हो सकता है और उन्हें इसे बदलना पड़ रहा है.’

द्रविड़ ने आगे कहा, ‘लेकिन उस बच्चे ने तभी ही तय कर लिया था कि बाकी बचे उसके जीवन में भारत में हर कोई और सभी पब्लिकेशन उसका नाम याद रखेंगे।’ इसके बाद राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट में अपनी पहचान कायम करना शुरू कर दी.

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