योगनगरी को मिलेगी नई पहचान 1600 करोड़ से ऋषिकेश का विकास होगा, जिसके लिए 80 फीसदी केंद्र और 20 फीसदी राशि राज्य सरकार देगी. परियोजना का काम उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी करेगी।
योगनगरी ऋषिकेश के विकास के लिए केंद्र सरकार ने जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू को प्रस्ताव भेजा है। कुल 1600 करोड़ के इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार 80 फीसदी और राज्य सरकार 20 फीसदी देगी. फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए जर्मन बैंक फंडिंग करेगा, जिसके लिए केएफडब्ल्यू की टीम जल्द ही उत्तराखंड आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर वित्त मंत्रालय ने ऋषिकेश शहर के एकीकृत विकास के लिए जर्मनी की फंडिंग एजेंसी केएफडब्ल्यू को 160 मिलियन यूरो यानी करीब 1295 करोड़ का प्रस्ताव भेजा है. इस परियोजना की कुल लागत करीब 20 करोड़ यूरो (करीब 1600 करोड़ रुपये) है। परियोजना के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार का वित्तीय अनुपात 80:20 होगा।
मुख्यमंत्री ने जताया आभार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे का अभूतपूर्व विकास हुआ है. ऋषिकेश में एकीकृत शहरी आधारभूत संरचना विकास परियोजना से विश्व में योग की नगरी के रूप में विख्यात ऋषिकेश शहर में स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
यह होंगे विकास कार्य
24 घंटे पेयजल आपूर्ति, पेयजल मीटर, वर्षा जल प्रबंधन और बाढ़ सुरक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाएं, स्मार्ट शहरी स्थान, कपड़े और सामान के कमरे, प्रतीक्षा कक्ष, घाटों और वेंडिंग जोन का विकास, सड़क और यातायात प्रबंधन भूमिगत उपयोगिता नलिकाएं, एकीकृत नियंत्रण और नागरिक सुरक्षा और सुविधाओं के लिए कमांड सेंटर, स्मार्ट पोल और ऊर्जा बचत के लिए उपकरणों की स्थापना, परिवहन केंद्र, बस टर्मिनल और पार्किंग आदि।
ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए एलिवेटेड रोड बनेगी
ऋषिकेश में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की भीड़ के कारण यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होती है. इसके लिए ऋषिकेश में एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे, जिससे ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी।
सुधरेगी ऋषिकेश की जीवन शैली
इस परियोजना के पूरा होने पर, नागरिकों के शहरी जीवन स्तर में वृद्धि होगी। स्थानीय लोगों के व्यवसाय और आजीविका के स्तर में सुधार होगा। नागरिकों और पर्यटकों को बेहतर पेयजल और स्वच्छता की सुविधा मिलेगी। उनकी आजीविका गतिविधियों में वृद्धि होगी।