अतुल लोंधे ने कहा कि यह कहना भी गलत है कि एमवीए सरकार पर संटक का एक मात्र कारण अध्यक्ष पद से पटोले का इस्तीफा है।
गुरुवार को उद्धव ठाकरे की शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’में यह दावा किया गया है कि अगर नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देते तो महाविकास अघाड़ी सरकार बच सकती थी। वहीं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस ने ‘सामना’में किये गये इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि यह आरोप ‘अनुचित’ है।
कांग्रेस ने शिवसेना के द्वारा किये गये आरोपों को खारिज किया है। कांग्रेस नेता अतुल लोंधे ने कहा कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को अपने गठबंधन सहयोगी के निर्णय का सम्मान करना चाहिए। नाना पटोले ने जल्दबाजी में अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला नहीं लिया था, बल्कि पार्टी की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की सलाह पर यह फैसला लिया गया था। उन्होंने आगे कहा कि, यह आरोप बिलकुल गलत और निराधार है कि स्पीकर के रूप में नाना पटोले के इस्तीफे से एमवीए सरकार में संकट पैदा हो गया था।
कांग्रेस ने शिवसेना के दावो को खारिज किया
अतुल लोंधे ने कहा कि यह कहना भी गलत है कि एमवीए सरकार पर संटक का एक मात्र कारण अध्यक्ष पद से पटोले का इस्तीफा है। अन्य कई कारक भी इसमे शामिल थे। इस्तीफे का निर्णय पार्टी का एक आंतरिक मामला था। लोंधे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में निर्णय हाई कमान्ड के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लिए जाते है। यह निर्णय सोनिया गांधी द्वारा उस समय की राजनीतिक स्थिति का आकलन करने के बाद पार्टी के हित में लिया गया था। बता दें कि ‘सामना’ में लिखा गया था कि एमवीए सरकार पर संकट और उसके गिरने के पिछे कई कारण हो सकते है, परंतु इसका मुख्य कारण नाना पटोले का विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना है। सामना में कहा गया कि, पटोले का इस्तीफा देने का फैसला योग्य और समझदारी भरा नहीं था। इस्तीफे के बाद से ही एमवीए सरकार पर संकट के बादल छानें लगे थे।