दिल्ली की विवादास्पद शराब नीति से घिरे हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। अब गृह मंत्रालय ने फीडबैक यूनिट द्वारा जासूसी के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। हाल ही में सीबीआई ने दिल्ली सरकार की ‘फीडबैक यूनिट’ में जासूसी का आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।
इससे पहले, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दे दी और अनुरोध को गृह मंत्रालय को भेज दिया।
गौरतलब है कि 2015 में सत्ता में आने के बाद दिल्ली सरकार ने फीडबैक यूनिट (FBU) का गठन किया था। जिसका काम एक-एक विभाग पर नजर रखना था। सरकार ने कहा कि इससे उनका मकसद विभागों के भ्रष्टाचार पर नजर रखना है। हालांकि बाद में सरकार पर आरोप लगे कि उनके जरिए दिल्ली सरकार विपक्षी दलों के कामकाज पर नजर रख रही है।
सीबीआई ने कहा कि यूनिट पर कोई एजेंडा प्रसारित नहीं किया गया था और तत्कालीन एल-जी की अनुमति भी नहीं मांगी गई थी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुप्त सेवा व्यय के लिए 1 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ यूनिट ने 2016 में काम करना शुरू किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एफबीयू द्वारा उत्पन्न रिपोर्ट में से 60 प्रतिशत सतर्कता और भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित हैं, जबकि “राजनीतिक खुफिया जानकारी” और अन्य मुद्दों के लिए लगभग 40 प्रतिशत जिम्मेदार है।
पिछले दिनों सिसोदिया ने आरोपों के मद्देनजर ट्वीट किया था, “बीजेपी ने मुझ पर नए आरोप लगाए हैं कि 2015 से मैं उनकी जासूसी में शामिल हूं। इतने बड़े लोग जिनका वजूद सीबीआई, ईडी और पेगासस के सहारे विपक्षी नेताओं के खिलाफ साजिश रचने पर टिका है और अगर वे डरे हुए हैं मेरे बारे में, ऐसा लगता है कि मैं भी मोदी के बराबर हो गया हूं।”