मायानगरी मुंबई की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। यहा बढ़ते हवा प्रदूषण के कारण मुंबईकरों का दम घुट रहा है। पिछले पांच वर्षों में ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और निमोनिया के कारण लगभग 13,444 मौतें दर्ज की गईं। इसका मतलब है कि इन बीमारियों से हर दिन 7 लोगों की मौत हो रही है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2017 से 2021 तक निमोनिया से 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
आपको बता दें कि मुंबई में प्रदूषण की समस्या कुछ सालों से गंभीर बनी हुई है। पिछले साल 365 में से 270 दिन ज्यादा प्रदूषित रहे थे। इस साल भी ऐसा ही है। बढ़ते प्रदूषण के चलते इस बार बजट में बीएमसी ने निगरानी से लेकर प्रदूषण पर नियंत्रण तक के एक्शन प्लान का भी ऐलान किया है। प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में निर्माण, रिफाइनरी और वाहन शामिल हैं।
इन बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी
डोक्टर्स के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण की वजह से सीओपीडी, अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियों के मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। खराब हवा के कारण लोगों को काफी देर तक खांसी रहने की शिकायत है। डोक्टर्स ने बताया कि, बढ़ते प्रदूषण के कारण एचआईवी, टीबी, अनियंत्रित डायबिटीज और किडनी फेल होने वाले लोगों को निमोनिया हो सकता है। यह उन लोगों में भी आम है जिन्हें न्यूमोकोकल टीका नहीं मिला है।
‘खराब हवा से इन लोगों को अधिक खतरा!’
डोक्टर ने कहा कि, हवा में प्रदूषण की वजह से न केवल फेफड़े, बल्कि अन्य अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। यह ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, सीओपीडी, एलर्जी, पोस्ट-कोरोना स्थितियों से पीड़ित रोगियों के लिए जोखिम को बढ़ाता है। फेफड़े के विकार वाले लोगों को खराब हवा का अधिक खतरा होता है।