Pahaad Connection
Breaking News
Breaking Newsउत्तराखंडजीवनशैली

प्रसव के बाद शुरूआती एक घंटे में स्तनपान कराना बच्चे के लिए अमृत समान: डॉ. सुजाता संजय

Advertisement

देहरादून। संजय ऑर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा आयोजित वेविनार में  राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डॉ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने  विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) को लेकर स्तनपान ओरिएंटेशन कार्यशाला वेविनार का आयोजन किया। इस जन-जागरूकता व्याख्यान में  उत्तरप्रदेश ,उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश व पंजाब से 150 से अधिक मेडिकल, नर्सिंग छात्रों व किशोरियों ने भाग लिया।

मैटरनिटी सेन्टर, द्वारा स्तनपान की महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने एवं शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए इस कार्यक्रम में डॉ सुजाता संजय द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं व माताएं एवं नर्सिंग छात्राओं के लिए स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूक किया गया डॉक्टर सुजाता संजय व उनके अस्पताल द्वारा तीन वेबीनार एक सेमिनार व दो रेडियो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। डॉ सुजाता ने बताया मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं। यह न सिर्फ शिशु के सर्वांगींण विकास के लिए जरूरी है, बल्कि इससे मां को भी मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ होता है। जन्म के शुरूआती एक घंटे में शिशु के लिए मां का दूघ अत्यन्त जरूरी है। बावजूद इसके स्तनपान को लेकर अभी भी लोगों में काफी भ्रातियां फैली हुई है। आज भी लोगों में स्तनपान की जरूरतों के प्रति जागरूकता की कमी है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के करीब 77 करोड नवजात या हर दो में से एक शिशु को मां का दूध पहले घंटे में नहीं मिल पाता है। यह आंकडा शिशु मृत्यु दर के लिए बेहद अहम हैं दो से 23 घंटे तक मां का दूध न मिलने से बच्चे के जन्म से 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर का आंकडा 40 फीसदी होता है, जबकि 24 घंटे के बाद भी दूध न मिलने से मृत्यु दर का यही आंकडा बढकर 80 प्रतिशत तक हो जाता है।  देश में नवजात शिशुओं की मौत की सबसे बडी वजह मां का दूध नहीं पिलाया जाना भी है। सरकारी आंकडो के अनुसार देश में 5 साल से कम आयु केे 42,5 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं और 69,5 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से जुझ रहे हैं। दूनिया के 10 अविकसित बच्चों में से चार भारतीय होते है। और पांच साल से कम उम्र के लगभग 15 लाख बच्चे हर साल भारत में अपनी जान गंवाते हैं।डॉ0 सुजाता संजय ने छात्र-छात्राओं  को स्तनपान के महत्व के बारे में बताया कि मातृत्व स्त्री के जीवन की संपूर्णता एवं सार्थकता समझी जाती है। इस वर्ष की थीम स्तनपान के लिए संकल्प-कामकाजी माता-पिता के लिए विशेष प्रयास है। उन्होंने बताया कि स्तनपान हर बच्चे का अधिकार है। ऑफिस संस्थानों को इस बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है, जिससे कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को समुचित स्तन पान करा सकें। यदि प्रत्येक ऑफिस में कामकाजी महिलाओं की जरूरत के हिसाब से सुविधाजनक ब्रेस्टफीडिंग कक्ष की व्यवस्था हो तो महिला कर्मचारियों की कार्य क्षमता में तेजी आ सकती है। वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के ग्लोबल जेंडर रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत में 20.33 फीसदी कामकाजी महिलाएं हैं, जिनमें से केवल 40 फीसदी कामकाजी माताएं ही अपने बच्चों को 6 माह तक स्तनपान और 2 साल तक की पूरक भोजन के साथ विशेष रूप से ब्रेस्ट फीडिंग करा पाती हैं। आप चाहती हैं कि आपके बच्चे की सेहत अच्छी बनी रहे, तो आप अपनी डाइट में हल्दी को अधिक शामिल करें। हल्दी के सेवन से स्तनपान कराने वाली महिलाओं को फायदा होता है। हल्दी में मौजूद पोषक तत्व दूध पिलाने के दौरान आपको कई तरह के इंफेक्शन से बचा सकते हैं, जिससे शिशु की सेहत पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होगा। डॉ0 सुजाता संजय ने कहा कि माँ का दूध, आपके शिशु के लिए परिपूर्ण आहार है। माँ का दूध सुपाच्य होता है जिससे यह शिशु को पेट सम्बन्धी गड़बड़ियों से बचाता है। स्तनपान से दमा और कान सम्बन्धी बीमारियाँ नियंत्रित रहती हैं, क्योंकि माँ का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में उदर व श्वसन तंत्र के रोग, रक्त कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि शिशु को स्तनपान कराने में मां का भरपूर सहयोग करना हम सबकी जिम्मेदारी है और इसमें पति, परिवार, समाज, कार्य क्षेत्र सभी को अपना सहयोग करना चाहिए।

Advertisement

 

 

Advertisement

 

 

Advertisement
Advertisement

Related posts

अग्निवीर योजना को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाएगी कांग्रेस

pahaadconnection

ऑगर मशीन से पुनः ड्रिलिंग शुरू,

pahaadconnection

युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक संस्कृति से प्लेग्राउंड संस्कृति की ओर आकर्षित किया जाए

pahaadconnection

Leave a Comment