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कभी भुलाया नहीं जा सकता महान स्वतंत्रता सेनानियों का सर्वोच्च बलिदान : गौरव कुमार

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देहरादून 15 अगस्त। शिव सेना उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष गौरव कुमार ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गोविन्द गढ़ देहरादून स्थित प्रदेश मुख्यालय   में ध्वजारोहण किया। राष्ट्रगान के साथ उपस्थित अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। प्रदेश अध्यक्ष गौरव कुमार के द्वारा आजादी के लिए बलिदान हुए सभी महापुरुषों का स्मरण कराते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने व अपने दायित्वों का पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ निर्वहन करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने कहा कि आजाद भारत के विकास, शांति, समृद्धि और सभी की आशाओं-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए जिन-जिन लोगों ने योगदान किया है, उन सभी महान विभूतियों को भी आज दिल की गहराइयों से नमन करते हैं। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था। हमे स्वतंत्र हुए आज पूरे 75 वर्ष हो गए हैं। हमारा भारत दो सौ वर्षों तक अंग्रेजों के अधीन था। ब्रिटिश शासन के दौरान लोगों का जीवन दयनीय था। भारतीयों के साथ गुलाम जैसा व्यवहार किया जाता था और उन्हें उनसे कुछ भी कहने का कोई अधिकार नहीं था। भारतीय शासक ब्रिटिश अधिकारियों के हाथों की कठपुतली मात्र थे। ब्रिटिश शिविरों में भारतीय सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। भारत के प्रसिद्ध नेताओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी गयी जिसमें मुख्य रूप से महात्मा गाँधी, भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस जवाहरलाल नेहरू, दादा भाई नौरोजी, रानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों शामिल थे। देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया और भारत को आजाद कराया।

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष गौरव कुमार ने स्वतंत्रता संग्राम के ज्ञात व अज्ञात गौरव सेनानियों को याद करते हुए कहा कि उनके त्याग व बलिदान से ही स्वतंत्र भारत का सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी एवं सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। भारत ने आजादी के इन 76 वर्षों में सभी चुनौतियों का सामना मजबूती से किया है। हमारे कुछ उत्तरदायित्व हैं और आने वाली पीढ़ी के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। भारत ने हमेशा ही सतत विकास का समर्थन किया है, विकसित राष्ट्र की अपनी यात्रा में हम भविष्य की पीढ़ी के लिए आवश्यकताओं से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने में विश्वास रखते हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सर्व प्रथम हम आजादी के उन वीर शहीदों को शत्-शत् नमन करते हैं जिनकी कुर्बानियों की बदौलत हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। हमें आजादी के मूल्य को समझना है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में कांग्रेस का बड़ा योगदान रहा है और जिन आदर्शों और सपनों के लिए स्वतंत्रा सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी तथा देश की सीमाओं की रक्षा के लिए जिन सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उनकी कुर्बानी के लिए कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें सदैव याद करता रहेगा।

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इस अवसर पर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में आहूति देने वाले तमाम वीर सपूतों एवं शहीद हुए वीर सैनिकों तथा उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों को नमन करते हुये उनकी शहादत को याद किया है। उन्होंने कहा कि आज का यह दिन हमें आत्मचिन्तन करने तथा महान देशभक्तों के सपनों एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। आज का दिन हम सब को यह प्रेरणा देता है कि हम समरसता, समृद्धि, खुशहाली से राष्ट्र निर्माण की तरफ बढ़ें। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से देश हर एक क्षेत्र में नए-नए आयाम स्थापित कर प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। हमारी आन-बान-शान का प्रतीक भारत का राष्ट्रध्वज देश के शौर्य, शांति और बलिदान का प्रतीक होने के साथ देशवासियों की एकजुटता का परिचय दे रहा है। राष्ट्र हमें एक सूत्र में बांधता है। इसलिए राष्ट्रध्वज सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं हमारा स्वाभिमान है। राष्ट्रगान सिर्फ शब्द नहीं, हमारा आत्म सम्मान है। भारत अपार संभावनाओं का देश है। हमें अपनी सभी संभावनाओं को तलाशना होगा, उन्हें सच करना होगा। एक ऐसे भारत का निर्माण करना होगा, जिसमें भूख, गरीबी, बेरोज़गारी न हो, जो सशक्त हो, समृद्ध हो और जो विश्व को राह दिखाये। सदियों से भारत ने अपने ज्ञान और अध्यात्म से विश्व का मार्गदर्शन किया है। और अब अपने विज्ञान, अर्थ और कौशल से भी करेगा।  इस अवसर पर शिव सेना उपप्रमुख पंकज तायल, वासु परविन्दा, विकास मल्होत्रा, शिवम् गोयल, रोहित बेदी, रवीश नेगी, अमित डिमरी, जितेंद्र निर्वाल, मनमोहन साहनी, अक्षय महेंद्रू, विकास सिंह, सुरेंद्र पुंडीर आदि मौजूद रहे।

 

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