देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की उत्तराखंड राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। ऐसे पारंपरिक त्योहारों में घी संक्रांति प्रसिद्ध है। घी संक्रांति को क्षेत्रीय भाषा में घी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति और ओल्गिया भी कहा जाता है। घी संक्रांति के दिन घी खाने का विशेष महत्व है।
घी संक्रांति पर्व भादो मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष घी संक्रांति पर्व 17 अगस्त को मनाया जायेगा। लोग कटोरी में घी भरकर पहले भोग लगाते हैं, फिर उसके उपरांत विभिन्न प्रकार के ब्यंजन बनाकर भोग चढ़ाते हैं। घी संक्रांति का पर्व उत्तराखंड राज्य में धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन बेदू रोटी उरद की दाल से भरी हुई रोटी को मक्खन या घी के साथ खाने का रिवाज है। इस पर्व पर कृषक वर्ग सबसे पहले ग्राम देवता को गेबे अरबी पत्ते, मक्का, दही, घी, मक्खन आदि का ओलग अर्पित करते हैं।पंडितों, पुजारियों और रिश्तेदारों को भी ओलाग दिया जाता है। मूल रूप से यह एक मौसमी त्योहार है। जिसे खेती से जुड़े किसानों और पशुपालकों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस दिन गांव के घरों की महिलाएं अपने बच्चों के सिर पर ताजा मक्खन मलती हैं। साथ ही उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं। गांव के किसान अपने खेतों में उगाए गए फल, सब्जियां और सब्जियां शाही दरबार में चढ़ाते थे। इसे ओलाग का रिवाज कहा जाता था।
सिंह संक्रांति हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार सूर्य का सिंह राशि में स्थानांतरण का समय होता है, जिसे सिंह संक्रांति कहा जाता है। इसे खेती संबंधी त्योहार के रूप में भी माना जाता है, जिसमें किसान अपनी बुआई का प्रारंभ करते हैं और खेतों में नए फसल का आगमन का जश्न मनाते हैं। इस दिन पूजा-पाठ, स्नान-ध्यान और दान पुण्य के साथ-साथ घी खाने का भी महत्व मत्स्यपुराण में बताया गया है। सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से आपको धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन धर्मिक दान देना अच्छा माना जाता है। आप गरीबों को खाना खिला सकते हैं या वस्त्र दान कर सकते हैं। सिंह संक्रांति के दिन आप पौधे लगाकर प्रकृति को समर्पित कर सकते हैं। इस दिन ध्यान और प्रार्थना करने से मानसिक शांति मिल सकती है और मन को शुद्धि मिलती है। सिंह संक्रांति के दिन दानव्रत अपनाकर दूसरों के लिए भलाई कर सकते हैं।
गाय का घी आयुर्वेद में चरक संहिता के अनुसार काफी पवित्र और शुद्ध माना जाता है। सूर्य संक्रांति के दिन जो भी व्यक्ति घी का सेवन करता है ऐसा माना जाता है कि इससे उसकी बल, बुद्धि, ऊर्जा और याददाश्त में वृद्धि होती है। इसके अलावा गाय का घी वसावर्धक होता है जिसका सेवन करने के बाद व्यक्ति को वात, कफ और पित्त दोष जैसी परेशानियां नहीं होती है। सिंह संक्रांति के दिन गाय का घी खाने से शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति से लगभग 1 महीने तक सूर्यदेव को रोज जल चढ़ाना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सिंह संक्रांति के दिन घी खाने से आपकी कुंडली में बैठे राहु और केतु भी शुभ फल प्रदान करते हैं। लेकिन ध्यान दें कि ये उपाय आपके निजी विशेषताओं, संस्कारों, और धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार बदल सकते हैं।
17 अगस्त को सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सिंह संक्रांति की तिथि शुरु होगी और ये 18 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
17 अगस्त को मनाया जायेगा घी संक्रांति का त्योहार
Advertisement
Advertisement
Advertisement