देहरादून। उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर से 40 श्रमिक फसने की बात को लेकर आज देहरादून, गरुड़ और अन्य क्षेत्रों में आंदोलनकारियों एवं विपक्षी नेताओं ने आक्रोश जताया। देहरादून में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए जन प्रतिनिधियों ने कहा कि परियोजना में काम करने वाले मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। जब बार-बार साबित हुआ है कि हिमालय के पहाड़ों में ऐसे सुरंग के परियोजना बनाना खतरनाक होता है, जब एक पूरा शहर यानी जोशीमठ इस प्रकार की लापरवाही की वजह से डूब रहा है, ऐसे परियोजनाओं पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया गया है? उन्होंने यह भी मांग उठाया कि सुरंग से बाहर निकलने के बाद मज़दूरों की शारीरक एवं मानसिक स्वास्थ के लिए इलाज़, उनको मुआवज़ा देने, और दुर्घटना पर जांच करने के लिए भी योजना बने। देहरादून में उत्तराखंड महिला मंच के कमला पंत, निर्मला बिष्ट, आल इंडिया किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल सदस्य समर भंडारी, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुजाता पाल, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल एवं राजेंद्र शाह, जन संवाद समिति के सतीश धौलखंडी, स्वतंत्र पत्रकार स्वाति नेगी, और अन्य लोग कार्यक्रम में शामिल रहे। ज्ञापन को उत्तराखंड लोक वाहिनी, समाजवादी पार्टी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, और अन्य संगठनों ने समर्थन दिया।