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उत्तराखंड

विस्थापित किए गए 54 परिवारों को 30 साल बाद मिला भूमिधरी हक

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काशीपुर। पौड़ी गढ़वाल की कोटद्वार तहसील से विस्थापित किए गए 54 परिवारों को आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद संक्रमणीय भूमिधरी अधिकार मिलने से खुशी की लहर दौड़ गई। अब सरकारी अभिलेखों के हिसाब से यह परिवार सरकारी सुविधाओं के हकदार होंगे, जिसका वर्षों से इंतजार था। वर्ष 1994 में कोटद्वार के ग्राम धारा, झिरना, कोठीरो के 54 परिवारों को शासन-प्रशासन ने यह कह कर विस्थापित किया था कि यह क्षेत्र वन बंदोबस्त के तहत प्रोजेक्ट कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आ गया है। इसके चलते सभी को काशीपुर के मानपुर स्थित नई बस्ती में विस्थापित किया था। तब शासन-प्रशासन के आश्वासन पर सभी 54 परिवार यहां आकर बस गए थे, लेकिन इन परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था।

विस्थापित अनिल भारद्वाज बताते हैं कि बीते करीब 29 वर्षों में यहां रहने वाले परिवारों ने तमाम आंदोलन किए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तब वह सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिले। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व कुमाऊं कमिश्नर काशीपुर आए थे। तब विस्थापित परिवारों ने अपना दर्द बयां किया। इसके बाद भूमिधरी अधिकारी देने की प्रक्रिया शुरू हुई।बीती 18 जनवरी 2024 को सचिव राजस्व ने भूमिधरी अधिकार की अधिसूचना जारी करने से गांव में खुशी का माहौल है।

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एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने 18 जुलाई 2023 को मानपुर नई बस्ती पहुंचकर विस्थापित 54 परिवारों को प्रपत्र-10 बांटे थे। जिसमें 21 दिन का समय आपत्ति के लिए तय होता है। इस दौरान कोई आपत्ति नहीं आने पर शासन को भूमिधरी हक संबंधी स्वीकृति पत्र भेजा गया था।मानपुर नई बस्ती के विस्थापित परिवारों को लंबे समय बाद संक्रमणीय भूमिधरी अधिकार शासन की ओर से मिल है। अब यह परिवार जमीन की खरीद-फरोख्त, बैंक ऋण के साथ अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।

 

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