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विचारों को बदलने के लिए शिक्षा एक प्रभावशाली माध्यमः डाॅ. संजय

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देहरादून, 7 अप्रैल। अरविंद सोसाइटी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य समिति के द्वारा 6-7 अप्रैल 2024 को वार्षिक सम्मेलन का ऑरोवैली आश्रम ऋषिद्वार, रायवाला में आयोजन किया गया। सम्मेलन का विषय था, “श्री अरविंद के आलोक में सनातन संस्कृति व राष्ट्रवाद“। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पद्म श्री डाॅ. बी. के. एस. संजय, श्री अरविंद सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष, स्वामी ब्रह्मदेव, समिति के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश गोयल, समिति के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. जे. पी. सिंह, जोनल कमिटी के सचिव, श्री अरूण कुमार व्यास के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। पद्म श्री डाॅॅ. बी. के. एस. संजय ने अपने संबोधन के पहले श्री अरविंद जी को श्रृद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, श्री अरविंद बहु प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में ही लगाया। श्री अरविंद अपने ढंग से क्रांतिकारी विचार थे,जिन्होंने योग, दर्शन एवं संस्कृति को राष्ट्रवाद से जोड़ा। पद्म श्री डाॅ. बी. के. एस. संजय का मानना है कि विचार किसी भी कार्य का प्रथम स्रोत है। यदि हम किसी में बदलाव लाना चाहते हैं तो उसके विचारों को बदलना होगा जिसके लिए शिक्षा एक प्रभावशाली माध्यम है। डाॅ. संजय ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि श्री अरविंद ने 30 अगस्त 1905 को अपनी पत्नी मृणालिनी जी को एक पत्र में लिखा, ”मैं यह नहीं कहता कि राष्ट्र सेवा का यह काम मेरे जीवनकाल में पूरा हो जायेगा, उन्होंने कहा कि यह मेरा पागलपन है कि मैं अपने देश को माँ के रूप में देखता हूँ। मैं उसकी माँ के रूप में पूजा करता हूं।” 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस पर, जो स्वतंत्र भारत का जन्मदिन था और श्री अरबिंदो का 75 वां जन्मदिन था, जिन्होंने बयान जारी किया था, ”यह दिन भारत के लिए चिह्नित है। यह एक पुराने युग का अंत, नए युग की शुरुआत है। अब तो उठने का समय आया है, पतन का काल तो बीत चुका है। ऊषा होने ही वाली है। भारत के भाग्य का सूर्योदय होगा, सारा भारत उसकी प्रभाव से जगमगा उठेगा, फिर यह ज्योति भारत से चलकर एशिया को जगमगा देगी और एशिया के बाद, सारे संसार को जगमग-जगमग कर देगी”। पद्म श्री डाॅ. संजय ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पिछले 10 सालों में जो बहुमुखी विकास हुआ है उनको देखकर तो लगता है कि श्री अरविंद की लगभग 100 साल पहले की गई भविष्यवाणी आज चरितार्थ हो रही है। डाॅ. संजय ने आशा व्यक्त की कि जब हमारा देश आजादी के 100 साल का उत्सव मना रहा होगा तब हमारा देश निश्चित तौर पर दुनिया का एक विकसित देश और विश्व गुरु के पायदान को लांघ चुका होगा। शायद हम सब में से कुछ लोग इसके साक्षी होंगे। श्री अरविंद सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष, स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा कि जीवन जीने के लिए है या जिंदा रहने के लिए? डाॅ. जे. पी. सिंह ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसमें आध्यत्मिकता का बीज हजारों सालों से बोया जा रहा है। राष्ट्रवाद को संस्कृति के परिदृश्य में देखना चाहिए और उन्होंने लोगों को बताया कि हमें श्री अरविद के “संपूर्ण जीवन योग है“ के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। श्री अरविंद सोसायटी के राज्य समिति के अध्यक्ष विष्णु कुमार गोयल ने कहा कि मेरी इच्छा है कि मैं जीवन पर्यन्त श्री अरविंद सोसायटी के माध्यम से राष्ट्र की सेवा कर सकूं। जोनल कमेटी के सचिव अरुण कुमार व्यास ने कहा कि संस्कृति का निर्माण एक दिन में नहीं बल्कि हजारों वर्षों में होता है। डाॅ. अनिल वाजपेयी ने कहा कि हमारे मुख्य अतिथि पद्म श्री डाॅॅ. बी. के. एस. संजय का वकत्व्य ओजस से भरे हुए संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रति जो अद्भुत विचार हैं वह सराहनीय है। उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं पधारे हुए अन्य सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

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