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नवमी मतलब नवरात्र का अंतिम दिवस। इस दिन कन्या भोज , हवन होते हे। नवमी के दिन सुबहः पुरे विधि विधान के साथ ही व्रत ख़त्म करे। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके विधिवद हवन करें। कन्याओ को भोजन कराने के बाद ही आपका व्रत खोले। नवमी के दिन लौकी न खाएं। अगर नवमी गुरुवार को हो तो केले और दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
माँ नवदुर्गा के सहस्त्र नाम हे। देवी के सारे नाम विधि से लेने चाहिए। हर नाम के बाद में नमः लगाकर स्वाहा बोला जाता हे। हवन की सामग्री पूरी अवश्य लाये ताकि माँ की कृपा आप पे बनी रहे। माँ चंडी हवन भी नवमी को होता हे।
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नवमी के दिन खाने में शुद्ध सात्विकता बनी रेहनी चाहिए। किसी भी तरह का घर में कलेश न हो इसका ध्यान रखे। माँ को भोग लग जाने के बाद संध्या समय आरती नहीं होगी लेकिन दीपक अवश्य जलाये।
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