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15 से 20 फीसदी ही हुआ चेरी का उत्पादन

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देहरादून। हिमाचल प्रदेश में चेरी का सीज़न लगभग ख़त्म हो गया हैं, मौसम की मार से इस साल प्रदेश में सामान्य के मुकाबले महज 15 से 20 फीसदी ही चेरी का उत्पादन हुआ है। चेरी पोष्टिक फल है,अपने चटक लाल रंग और खट्टे-मीठे स्वाद के कारण चेरी को काफ़ी पसंद किया जाता है। चेरी का वैज्ञानिक नाम प्रूनस है।प्रूनस जाति (जीन) के दो प्रकार शामिल हैं: स्वीट चेरी (पी. एवियम) और टार्ट चेरी (पी. सेरासस)। मीठे स्वाद वाली चेरी लगभग हर किसी को पसंद होती है। अधिकतर लोग चेरी को सीधे तौर पर खाते हैं या जूस और शेक में शामिल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेरी स्वाद के साथ-साथ सेहत से भी भरपूर होती है, चेरी में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी6, कैल्शियम और आयरन होता है। इसके अलावा, इसमें पोटेशियम, मैंग्नीज, कॉपर, फॉस्फोरस, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसके सेवन से वजन कम करने से लेकर शरीर की तमाम परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। चेरी शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट करने में लाभकारी मानी जाती है। इसे खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए चेरी काफी लाभकारी है। चेरी में मौजूद पोटेशियम शरीर से अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकालने में मदद करता है। चेरी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। चेरी में मेलाटोनिन और एंथोसायनिन पाया जाता है, जो नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में प्रभावी है।

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