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मेहमूद की कहानी: जूनियर मेहमूद की जुबानी

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कामेडी किंग मेहमूद साहब ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत फिल्म सीआईडी से की। बड़े दिलवाले महमूद ने कई हास्य कलाकारों को फिल्मों में काम करने का मौका दिया। उनमें से एक हैं जूनियर महमूद।

उन्होंने पांच साल की उम्र में ही जूनियर महमूद को अपना शिष्य बना लिया था। जूनियर महमूद कहते हैं, “महमूद बहुत ही अच्छे अख्लाक के आदमी थे। वे अपने काम के लिए जाने जाते थे, उन्होंने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ सहा।”

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महमूद ने जूनियर महमूद को अपना नाम और पहचान दी। जूनियर महमूद बताते हैं कि किस तरह उस ज़माने के बड़े-बड़े अभिनेता महमूद से डरा करते थे।

जूनियर महमूद कहते हैं, “उस वक़्त महमूद बहुत बड़ा नाम था। वो एक ऐसे एक्टर थे, जो दर्शकों को अपनी एक्टिंग से खूब हँसाते थे और खूब रुलाते भी थे।उनके डायलॉग सुनकर अच्छे से अच्छे अभिनेता के भी पसीने छूट जाते थे।

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वो जब भी फिल्म का कोई शॉट देते, किसी को पता नहीं रहता था कि वो अब क्या बोल देंगे और कैसे करेंगे. वो सब कुछ अपने तरीके और स्टाइल से करते थे। यहाँ तक कि महमूद को भी नहीं पता होता था कि वो सीन में क्या करेंगे।”

”जब शूट ख़त्म होता तो महमूद के लिए जमकर तालियां बजाईं जाती थीं. महमूद अकेले ऐसे हास्य कलाकार थे, जिनकी तस्वीर फ़िल्मी पोस्टर में हीरो के साथ रहा करती थी।  फ़िल्म में कितना भी बड़ा हीरो क्यों न हो, दर्शक सिनेमाघरों में महमूद को देखने जाया करते थे।

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डायरेक्टर को यह बात अच्छी तरह पता होती थी कि अगर उसे अपनी पिक्चर हिट करनी है, तो उसे महमूद को अपनी फ़िल्म में लेना होगा. इसलिए कई फ़िल्मों में महमूद को काम मिला।”

जूनियर महमूद ने बताया, “हैरानी की बात यह थी कि उन्हें किसी ने कभी रिहर्सल करते नहीं देखा। वो जो भी करते थे, फिल्मों में लाइव किया करते थे। यही वजह थी कि हीरो उनसे बहुत डरते थे। इतना ही नहीं उनकी पर्सनेलिटी ऐसी थी कि वो जब भी सेट पर खड़े हो जाते, हीरो अपनी शर्ट के बटन बंद कर लिया करते थे।”

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जूनियर महमूद के मुताबिक़ उस वक़्त महमूद को हीरो से ज़्यादा पैसे मिला करते थे। यह बात कई हीरो को पसंद नहीं थी। इसलिए वो यही कोशिश करते थे कि उनकी फिल्मों में निर्देशक और निर्माता महमूद को न लें।

मगर ऐसा बहुत कम हुआ।

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जूनियर महमूद बताते हैं कि महमूद ने सिर्फ़ हास्य कलाकार का रोल नहीं किया। उनकी सबसे यादगार फ़िल्म थी कुँवारा बाप, जिसमें उनकी असल ज़िंदगी की कहानी थी। उनका बेटा मकदूम अली, जिन्हें सब प्यार से मिक्की अली बोलते थे।  वो पोलियो के शिकार हो गए।

महमूद ने उनके इलाज के लिए क्या कुछ नहीं किया।

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उन्हें विदेश ले गए काफी पैसा खर्च किया, लेकिन फिर भी वो ठीक नहीं हो पाए तो उन्होंने अपना दुःख अपनी कुंआरा बाप फ़िल्म में दिखाया। ”

 

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