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एक अति सौभाग्यशाली गांव ल्वाली : हरीश रावत

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देहरादून। उत्तराखंड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज अपने फेसबुक एकाउंट मे पोस्ट करते हुये लिखा की ल्वाली, जैंती सालम क्षेत्र का एक अति सौभाग्यशाली गांव, जिसने देश को महेंद्र सिंह धोनी जैसा रत्न दिया।

महेंद्र सिंह धोनी अपने गांव पहुंचे। अपने चाचा-ताऊ के चौथरे पर बैठकर अपनी पत्नी के साथ फोटो भी खिंचवाई। देवी-देवताओं की पूजा की, अपने कुल पुरोहित को भी याद किया, ल्वाली भी चर्चा में आया और सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तराखंड की धरती के नामचीन बेटे अब अपने गांव आएं, चाहे कभी-कभी आएं, वह प्रसंग भी चर्चा में आया और ल्वाली गांव सड़क से नहीं जुड़ा है यह बात भी चर्चा में आई। महेंद्र सिंह धोनी वर्ष 2003 में भी अपने गांव आए थे, शायद तब भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उनका चयन हुआ था। उनके पिता पान सिंह धोनी का अपने गांव के साथ निरंतर जुड़ाव बना रहता है, उनके भतीजे दिनेश धोनी ल्वाली गांव के ग्राम प्रधान हैं।

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हरीश रावत ने कहा की मैं एक बात सफाई में कह दूं कि ल्वाली, चायखान से सड़क से जुड़ा हुआ है। हां, जहां महेंद्र सिंह धोनी जी की बाखली है, सड़क उससे नीचे है, गांव जुड़ा हुआ है। बल्कि उस क्षेत्र में एक और नामचीन धोनी जिन्होंने “जय हिंद” का नारा दिया स्व. राम सिंह धोनी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उनका गांव भी है तल्ला विनौला, इसी लाइन में एक के बाद एक तीन मूर्धन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांव भी हैं जो सभी सड़क से जुड़े हुये हैं, जैंती से भी जुड़े हुये हैं, चायखान से भी जुड़े हुये हैं। हमारे यहाँ अमूमन सड़क या तो गांव के ऊपर होती है या नीचे होती है, इसलिये जो बीच की बाखलियां होती हैं उनके लोगों को पैदल जाना पड़ता है। हरीश रावत ने कहा की मैंने यह बात अपनी सफाई में कही है, वैसे महेंद्र सिंह धोनी के भारतीय क्रिकेट टीम में चयन के बाद ल्वाली हमेशा चर्चा में रहा। हरीश रावत ने कहा की मैं उस समय राज्यसभा का सदस्य था। मैंने सांसद निधि से खेल का मैदान बनाने के लिए भी पैसा दिया था जो उस समय जूनियर हाई स्कूल थुआ सिमल के लिए, वहां खेल के मैदान में लगाया, वह ल्वाली गांव से लगा हुआ है, बड़ा फील्ड है, शायद हेलीकॉप्टर उतर सकता है। मैंने यह सब अपनी सफाई में कहा है, फिर भी कर्तव्य पालन में कहीं चूक होती है तो उसको मैं स्वीकार करने के लिए हमेशा उत्सुक रहता हूं। महेंद्र सिंह धोनी प्रेरणा हैं, आगे भी प्रेरणा रहेंगे, अपने गांव आकर उन्होंने लाखों उत्तराखंडियों को रास्ता दिखाया है।

 

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