देहरादून। जून के महीने में आसमान से आग बरस रही है। तापमान पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। न मैदानी भागों में चैन है न पहाड़ पर सुकून। ऊपर से राज्य के धधकते जंगलों से उठती लाल-लाल लपटे तो अब आबादी क्षेत्र तक पहुंच रही है। यही नहीं राज्य के कई हिस्सों में पेयजल का भीषण संकट खड़ा होने से लोगों में हा-हाकार मचा हुआ है। उत्तराखंड राज्य इन दिनों मौसम की ऐसी चौतरफा मार झेल रहा है। पौड़ी और अल्मोड़ा के जंगलों की आग विकराल रूप ले चुकी है वहीं नैनीताल क्षेत्र में जंगलों की आग ने तांडव मचा रखा है। पौड़ी के श्याम बडोली गांव में जंगल में लगी आग से एक वेडिंग हॉल जलकर राख हो गया। वेडिंग हाल में रखा लाखों का सामान जल गया। राज्य में अब तक वनाग्नि के 1210 घटनाएं दर्ज की जा चुकी है जिसमें 1670 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गया है और सरकारी अनुमान के अनुसार 34 लाख से अधिक की संपदा का नुकसान हो चुका है। वजह चाहे ग्लोबल वार्मिंग की हो या धधकते जंगलों की, राज्य में इस साल तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अभी 15-16 जून तक राज्य में भीषण गर्मी और हीट वेव की संभावना जताते हुए पारा 42-43 डिग्री के होने की बात कही गई है अभी मानसून आने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है। तब तक लोगों को इस समस्या से निजात मिलने वाली नहीं है।उधर राज्य के कई हिस्सों में लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है उत्तरकाशी के बड़कोट में बीते कई सप्ताह से लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए परेशान है। बीते एक सप्ताह से लोग धरने पर बैठे हैं और अब बड़े जनान्दोलन की तैयारी में है। उधर विकासनगर जुडली गांव में जल संकट की मार झेल रहे 30-40 परिवार पानी न होने के कारण परेशान हैं। भीषण गर्मी में अगर पीने के लिए पानी न मिल पाए तो क्या हालात हो सकते हैं इसकी गंभीरता को समझा जा सकता है।