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रामनवमी तक चलने वाला ऐतिहासिक मेला शुरू

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देहरादून, 19 मार्च। राजधानी में आस्था और सद्भावना के प्रतीक श्री झंडे जी का आरोहण होने के साथ ही रामनवमी तक चलने वाला मेला शुरू हो गया हैं। यहां आस्था का सैलाब उमड़ा और दरबार साहिब जयकारों से गूंज उठा। श्रीमहन्त देवेंद्र दास महाराज की अगुवाई में सुबह श्रीझंडे जी उतारे गए। शाम के समय राजधानी में आस्था और सद्भावना के प्रतीक श्री झंडे जी का आरोहण हुआ। इसके साथ ही रामनवमी तक चलने वाला मेला शुरू हो गया हैं। परंपरा के अनुसार इस बार श्री झंडे जी के ध्वजदंड को बदला गया। इससे पहले श्रीमहंत ने संगत को गुरु मंत्र दिया। श्री दरबार साहिब में सुबह सात बजे से श्री झंडे जी के आरोहण की प्रकिया शुरू हुई। यहां पहले श्री झंडे जी को उतारा गया। इसके बाद दोपहर में दो से चार बजे तक श्रीमहंत की अगुवाई में आरोहण हुआ। इसके लिए राजधानी देहरादून में संगत भक्ति में डूबी रहीं। श्री झंडे जी के आरोहण के समय सहारनपुर चौक से झंडा बाजार तक भक्तों का सैलाब दिखा दिया। पुलिस ने झंडा बाजार और सहारनपुर चौक पर बैरिकेटिंग लगाकर वाहनों को रोका हुआ था।
ऐतिहासिक झंडा मेला बेहद ख़ास है, यह गुरु राम राय जी द्वारा शुरू की गई परंपरा, प्रेम सद्भाव, आस्था का प्रतीक है। यह हर साल होली के पांचवें दिन शुरू होता है और इसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। आज से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में श्री झंडेजी के आरोहण के साथ ऐतिहासिक झंडा महोत्सव की शुरुआत हो गई हैं, जो 6 अप्रैल तक चलेगा। इसके लिए हफ्तेभर पहले से ही संगतें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से लाखों की संख्या में पहुंची। 21 मार्च को नगर परिक्रमा होगी। झंडा जी मेले का समापन 6 अप्रैल को होगा।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में श्री झंडेजी के आरोहण के साथ ऐतिहासिक झंडा महोत्सव की शुरुआत हो गई हैं। सिखों के सातवें गुरु हरराय महाराज के बड़े पुत्र गुरु रामराय महाराज साल 1675 में चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन देहरादून में आए थे। इसके ठीक एक साल बाद यानी 1676 में इसी दिन उनके सम्मान में उत्सव मनाया जाने लगा और यहीं से झंडेजी मेले की शुरुआत हुई। गुरु रामराय का जन्म पंजाब में हुआ था और उनमें बचपन से ही अलौकिक शक्तियां थीं। उन्हें छोटी उम्र में ही असीम ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। तत्कालिक मुगल शासक ने उन्हें महाराज की उपाधि दी थी। औरंगजेब उनसे इतना प्रभावित थे, कि उन्होंने गढ़वाल के राजा फतेह शाह को महाराज का खास ख्याल रखने के निर्देश दिए। महाराज के डेरा डालने के कारण ही इस शहर का नाम देहरादून पड़ गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून के ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेले की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि हर साल श्री गुरु राम राय जी के जन्मोत्सव पर परंपरागत रूप से मनाया जाने वाला दून का ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेला मानवता और विश्वास से ओतप्रोत विशिष्ट परंपराओं को समेटे हुए है। इसके साथ ही यह मेला श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेला हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होने के साथ-साथ आपसी प्रेम एवं सौहार्द का भी प्रतीक है। श्री गुरु राम राय महाराज की शिक्षाएं और उनके संदेश आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हैं।

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