योग गुरु बाबा रामदेव और एलोपैथिक दवा के बीच हमेशा से विवाद रहा है। बाबा ने एलोपैथी पर प्रहार कर एक बार फिर चिकित्सा व्यवस्था को उन्माद में डाल दिया है। बाबा ने एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति को झूठा रोग बताते हुए कहा कि ऐसा कहा जाता है कि इस रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज संभव नहीं है।
बाबा के मुताबिक, बिना अंग्रेजी दवाओं के योग की मदद से उन्होंने लाखों लोगों के लीवर, किडनी और फेफड़ों से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को ठीक किया है। इतना ही नहीं इसने लोगों की आंखों की कमजोरी को भी दूर किया है। एलोपैथी पर हमला बोलते हुए रामदेव ने कहा कि इस विकृति से अवसाद बढ़ गया है।
यह भ्रामक जानकारी देकर लोगों को गुमराह करता है कि लीवर बीमारियों को ठीक नहीं करता है। यह सब झूठ है। यह बात उन्होंने पतंजलि वेलनेस सेंटर में योग का अभ्यास करते हुए कही। आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब रामदेव ने एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति पर हमला किया है।
इससे पहले भी बाबा ने स्वयं एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति पर विवादित बयान देकर अपनी मुश्किलें बढ़ा दी थीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की बंगाल इकाई ने योग गुरु रामदेव के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
कहा गया कि डॉक्टरों समेत कई कोविड-19 मरीजों की मौत इसलिए हुई क्योंकि आधुनिक दवाएं इस बीमारी का इलाज नहीं कर सकीं। कोरोना महामारी के बीच एलोपैथी के बारे में गलत जानकारी फैलाने के आरोप में योग गुरु रामदेव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी।
भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन, पतंजलि संभालेंगे
योग गुरु रामदेव ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन किया है। इसे पतंजलि ट्रस्ट चलाएगा। यह जानकारी योग गुरु रामदेव ने सोशल मीडिया के जरिए दी। सोशल मीडिया पर प्रकाशित एक पोस्ट में योग गुरु ने कहा कि भारत जहां आजादी का अमृत पर्व मना रहा है, वहीं देश के प्रधानमंत्री ने एक महान ऐतिहासिक कार्य किया है।
योग गुरु ने कहा कि पतंजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा 1835 में किए गए मैकाले के पापों को साफ करने के लिए काम करने जा रहा है। अब भारत में भारतीय बच्चों का दिमाग भारतीयता के हिसाब से तैयार किया जाएगा।