पहाड़ के लोग पीछे जाकर भी जीतना जानते हैं। यह बात उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी बालक लक्ष्य सेन ने साबित कर दी है, जिन्होंने बैडमिंटन में पहला सेट गंवाकर शानदार वापसी की और स्वर्ण पदक जीता। बर्मिंघम में सोमवार को कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान जब एक टेलीविजन चैनल के कमेंटेटर ने अल्मोड़ा के गोल्डन बॉय लक्ष्य सेन की तारीफ करनी शुरू की तो पहाड़ के लोगों की प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति का डंका पूरी दुनिया ने सुना.
बर्मिंघम में टीकाकार ने अल्मोड़ा से लक्ष्य द्वारा किए गए अभ्यास की प्रशंसा की। लक्ष्य द्वारा बैडमिंटन में देश को दिए गए गोल्ड मेडल से पहाड़ के युवाओं की मेहनत भी सबके सामने आ गई है। लक्ष्य की सफलता ने साबित कर दिया है कि पहाड़ की प्रतिकूल भौगोलिक समस्याओं के बावजूद युवा ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं।
पहला सेट गंवाने के बाद जोरदार वापसी
भारतीय समय के अनुसार मैच सोमवार दोपहर 3 बजे शुरू हुआ। लक्ष्य सेन का एकल फाइनल मैच मलेशिया के एनजी टीजे योंग के खिलाफ था। कड़े मुकाबले के बाद भी लक्ष्य सेन ने अपना पहला सेट 21-19 से गंवा दिया। वहीं दूसरे सेट में 21-09 और तीसरे में 21-16 ने जबरदस्त वापसी करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
लक्ष्य सेन ने सफलता का श्रेय परिवार और गुरु को दिया
फाइनल मैच से इतर दिए गए इंटरव्यू में लक्ष्य सेन ने मलेशियाई खिलाड़ी के साथ मैच को कड़ा मुकाबला बताया। उन्होंने जीत का श्रेय अपने माता-पिता, गुरु और भाई को दिया। उन्होंने गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में प्राप्त प्रशिक्षण को भी महत्वपूर्ण बताया।
बैडमिंटन में उत्तराखंड को मिला पहला गोल्ड
लक्ष्य सेन बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुष एकल बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने वाले उत्तराखंड के दूसरे गोल्डन बॉय बन गए। इससे पहले 2006 में शूटर जसपाल राणा ने सेंटर फायर पिस्टल मेन्स पेयर्स इवेंट में आखिरी बार गोल्ड मेडल जीता था।