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आज से दोगुनी हो जाएगी नौसेना की ताकत, विक्रांत होगा सेवा में बहाल, बदलेगा नौसेना का निशान

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आज से भारतीय नौसेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी. पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत आज सेवा में बहाल हो जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित करेंगे. कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस विमान वाहक पोत के निर्माण में 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके साथ ही पीएम मोदी नौसेना के नए निशान का भी अनावरण करेंगे. भारतीय नौसेना अभी तक अंग्रेजों के जमाने का निशान इस्तेमाल कर रही थी

नौसेना के नए डिजाइन में एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं. साथ ही, भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर अंकित है. भारतीय नौसेना के वर्तमान ध्वज के ऊपरी बाएं कोने में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस है. भारतीय नौसेना ब्रिटिश काल में ही अस्तित्व में आ गई थी. दो अक्टूबर, 1934 को नौसेना सेवा का नाम बदलकर रॉयल इंडियन नेवी किया गया था. हालांकि, 26 जनवरी, 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के साथ रॉयल शब्द को हटा दिया गया था, लेकिन निशान नहीं बदला गया था.

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आईएनएस विक्रांत का निर्माण फरवरी 2009 में शुरू हुआ था. अगस्त 2013 में पहली बार विक्रांत को पानी में उतारा गया था. नवंबर 2020 में बेसिन ट्रायल शुरू हुआ. जुलाई 2022 में पूरा हुआ समुद्री ट्रायल. जुलाई 2022 में कोचीन शिपयार्ड ने नौसेना को सौंपा

विक्रांत से जुड़े तथ्य

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  •  20 हजार करोड़ की आई लागत
  • 76 फीसदी स्वदेशी सामान का उपयोग
  • एक टाउनशिप जितनी बिजली आपूर्ति
  • 21 हजार टन से ज्यादा विशेष ग्रेड स्टील का इस्तेमाल
  • 2,600 किलोमीटर से ज्यादा इलेक्ट्रिक केबल का इस्तेमाल
  • 150 किलोमीटर से ज्यादा पाइपलाइन
  • 61.6 मीटर ऊंचाई यानी 15 मंजिला इमारत जितनी
  • 5 मीटर लंबाई
  • 1600 क्रू की संख्या
  • 2300 कंपार्टमेंट
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