वास्तु के अनुसार बहुत सी चीजें अपनी सही दिशा में होनी चाहिए। अगर हर चीज योग्य दिशा में रहती है तो उससे आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। लेकिन हर चीज को वास्तु के अनुसार नहीं किया जा सकता। इसके लिए वास्तु में बहुत से उपाय भी बताए गए हैं। घर में वास्तु दोष दूर करने के लिए छोटे-मोटे उपाय अपनाए जा सकते हैं। अगर आप इन चीजों का ध्यान रखते हैं तो अपने घर में सुख समृद्धि ला सकते हैं। अगर आप अपने घर में बरकत लाना चाहते हैं तो हम आपके लिए कुछ खास टिप्स लेकर आए हैं। आप इन टिप्स को जरूर फॉलो करें।
अक्सर हमारे घर में जाले हो जाते हैं और हम उन पर ध्यान नहीं देते। लेकिन इससे आपके घर में नेगेटिविटी आती है। इसलिए घर के जालों को तुरंत दूर करना चाहिए। हर शुक्रवार को मकड़ी के जाले साफ कर देने चाहिए। इसके अलावा बाथरूम में हमेशा नीली बाल्टी का उपयोग करना चाहिए। रात के समय बाल्टी को खाली नहीं रखना चाहिए।
उसमें थोड़ा पानी भरकर उसे रखना चाहिए। इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अगर आप अपने घर में समृद्धि लाना चाहते हैं तो मुख्य द्वार पर चांदी का स्वस्तिक भी जरूर लगाएं। जो लोग इसे नहीं लगा सकते वो कुमकुम से स्वस्तिक जरूर बनाएं।
सुखी और सुकून भरा जीवन जीने के लिए घर में पंचतत्वों का संतुलित होना अनिवार्य है। घर की प्रत्येक वस्तु किसी न किसी तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। यदि घर वास्तु के अनुसार व्यवस्थित होता है तो इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है और घर में रहने वाले सदस्य निरोग, सुखी और धनवान बनते हैं। वास्तु सिद्धांत के अनुसार वास्तु दोषों को दूर करने अथवा कम करने में आपके घर की आंतरिक साज-सज्जा मददगार साबित हो सकती है।

घर में सुख-शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए कुछ वास्तु नियमों को अपनाया जा सकता है।घर में पूजा किस दिशा में होती है इसे बहुत महत्वूपर्ण माना गया है।यदि ये सही जगह पर न हो या पूजाघर की दिशा में अन्य कोई भारी सामान रखा हुआ है तो इससे बहुत ही नकरात्मक प्रभाव घर पर पड़ता है।
मन की शांति और घर के चौमुखी विकास के लिए पूजाघर का स्थान उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण पर ही होना चाहिए। क्योंकि ये ही देवताओं का स्थान होता है। यह भी ध्यान रखें की पूजाघर के ऊपर या नीचे कभी टॉयलेट,रसोईघर या सीढ़ियां न हो।
वास्तुशास्त्र में दिशाओं का महत्व
सब कुछ ठीक होने के बाद भी आपको लगता है कि हमारे हाथ में धन नहीं रुकता तो आपको अपने घर के दक्षिण-पूर्व दिशा क्षेत्र से नीला रंग हटाने की ज़रुरत है। इस दिशा में हल्का नारंगी, गुलाबी रंगों का प्रयोग करें।घर के अंदर लगे हुए मकड़ी के जाले,धूल-गंदगी को समय-समय पर हटाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती।पार्किंग हेतु उत्तर-पश्चिन स्थान प्रयोग में लाना शुभ माना गया है।घर में बनी हुई क्यारियों या गमलों में लगे हुए पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए।
यदि कोई पौधा सूख जाए तो उसे तुरंत वहां से हटा दें।दक्षिण-पश्चिम दिशा में ओवरहैड वाटर टैंक की व्यवस्था करना लाभप्रद रहता है।दरवाज़े को खोलते तथा बंद करते समय सावधानी से बंद करें,ताकि कर्कश ध्वनि न निकले।वास्तुशास्त्र में दिशाओं का महत्व यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोग पूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
गैस का चूल्हा किचन प्लेटफार्म के आग्नेय कोण में दोनों तरफ से कुछ इंच जगह छोड़कर रखना वास्तु सम्मत माना गया है।शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए,सोते समय शीशे को ढक दें।
वास्तुटिप्स
किसी भी व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए,ऐसा करने से बेचैनी,घबराहट और नींद में कमी हो सकती है।शयन कक्ष में मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोएं।पूर्व दिशा में सिर एवं पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है।घर या कमरों में कैक्टस के पौधे या कंटीली झाड़ियाँ या काँटों के गुलदस्ते जो की गमलों में साज-सज्जा के लिए सजाते हैं उनसे पूरी तरह बचना चाहिए।
भवन में उत्तर दिशा, ईशान दिशा, पूर्व दिशा, वायव्य दिशा में हल्का सामान रखना शुभ फलदाई होता है।घर में अग्नि से सम्बंधित उपकरण जहाँ तक संभव हो दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए। घर में लगे हुए विद्युत उपकरणों का रख-रखाव उचित ढंग से होना चाहिए,उनमें से किसी भी प्रकार की आवाज या ध्वनि नहीं निकलनी चाहिए।मधुर संबंधों के लिए अतिथियों का स्थान या कक्ष उत्तर या पश्चिम की ओर बनाना चाहिए।आरोग्य के दिशा क्षेत्र उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में दवाइयां रखने से ये जल्दी असर दिखाती हैं।