Pahaad Connection
Breaking News
उत्तराखंड

देहरादून में सैकड़ों लोगों ने किया सचिवालय कूच

Advertisement

देहरादून।

लोकतंत्र बचाओ-उत्तराखंड बचाओ आंदोलन के तहत विभिन्न संगठनों ने सचिवालय कूच किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य गठन के 22 साल बाद भी उत्तराखंड के लोग हासिये पर हैं। उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस के दो दिन पहले प्रदेश भर में विभिन्न विपक्षी दल, जन संगठन, बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों ने धरना, जुलूस, और ज्ञापन द्वारा “लोकतंत्र बचाओ, उत्तराखंड बचाओ!” के नारा के साथ सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई। कार्यक्रम देहरादून, चमियाला, बागेश्वर, श्रीनगर, पिथौरागढ़, पौड़ी, टिहरी, रामनगर, मुंसियारी, उत्तरकाशी, सल्ट और अन्य जगहों में हुआ। इसके अलावा लोग अपने घरों में ही धरना पर बैठ कर आंदोलन में शामिल हुए।

Advertisement

देहरादून में सचिवालय कूच करते हुए सैकड़ों लोगों ने मांगे उठायी कि सरकार अतिक्रमण हटाने के नाम पर या विकास परियोजना के नाम पर किसी को बेघर न करे, राशन हर परिवार को मिले, इसके लिए सरकार ज़िम्मेदारी ले, और कल्याणकारी योजनाओं में हो रहे बेअंत विलम्ब और भ्रष्टाचार पर रोक लगा कर किसी भी कार्रवाई को तीस दिन के अंदर होने का सख्त प्रावधान लाये। प्रदर्शनकारियों ने अपर सिटी मजिस्ट्रेट जोशी जी को अपने मांगों को ले कर मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा। इन मुद्दों के साथ साथ आंदोलन द्वारा लोगों ने आरोप लगाया कि राज्य बनने के 22 साल होने के बाद जिन सपनों के लिए उत्तराखंड की जनता ने लड़ा था, और जिन विचारों के लिए कई युवा शहीद हुए, वे सपने अभी कहीं नहीं दिख रहे हैं।

Advertisement

उल्टा इन 22 सालों में लोकतंत्र को कमज़ोर कर दिया गया है, अर्थ व्यवस्था को ले कर सरकार बड़ी कंपनियों के हित में ही नीतियां बना रही है, और जल जंगल ज़मीन पर लोगों के हक़ों को खत्तम कर दिया गया है। इसलिए उन्होंने मांग उठाया कि राज्य में लोकतंत्र को मज़बूत किया जाये, और इसके लिए पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायलय के फैसला के अनुसार स्वतंत्र पुलिस शिकायत आयोग बनाये; लोकायुक्त को सक्रिय किया जाये; 2018 का उच्चतम न्यायलय के फैसला के अनुसार भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए व्यवस्था बनाया जाये। प्रदेश भर जल जंगल ज़मीन पर लोगों के हक़ हकूकों को स्थापित करने के लिए 2018 के भू कानून संशोधन को रद्द किया जाये; वन अधिकार कानून के तहत हर गांव को अधिकार पत्र दिया जाये; भू सुधार को पूरा किया जाये और ज़मीन पर महिलाओं, ग्राम सभा भूमि पर बसे छोटे किसानों और दलितों का मालिकाना हक़ को सुनिश्चित किया जाये, जंगली जानवरों के हमलों को ले कर योजना बनाया जाये। राज्य में अर्थव्यवस्था के लिए जनहित नीतियों को बनायी जाये – राशन सबको मिले और बुनियादी वस्तुओं सबको उपलब्ध कराया जाए, जैसे केरल में किया जाता है; कॉर्पोरेट को दी जा रही छूट और सब्सिडी को खत्म कर मनरेगा के अंतर्गत 200 दिन का काम और 600 रुपये के रेट पर दिया जाये और शहरों में भी रोज़गार गारंटी को शुरू किया जाये; महिला मज़दूरों और किसानों के लिए सहायता की योजना बनाया जाये, अग्निपथ योजना को रद्द किया जाये, किसानों के फसलों के लिए एमएसपी सुनिश्चित किया जाये, स्वास्थ और शिक्षा को मज़बूत किया जाए। देहरादून में सचिवालय कूच को आल इंडिया किसान सभा के गंगाधर नौटियाल और एसएस सजवाण, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल सदस्य समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर एसएन सचान, उत्तराखंड महिला मंच के पद्मा गुप्ता, सीपीआई (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी, हरबीर सिंह खुश्वाहा, और सीआईटीयू के राज्य सचिव लेखराज ने सम्बोधित किया। चेतना आंदोलन के शंकर गोपा ने सञ्चालन किया। अशोक कुमार, पीपल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट और कमलेश खंतवाल, और चेतना आंदोलन के राजेंद्र शाह, मुकेश उनियाल, अशोक कुमार, विजेंद्र कुमार, प्रभु पंडित, अरुण तांती, पप्पू, संजय, रेनू देवी, मो इरफ़ान, मो सर्वर, और अन्य साथी सैकड़ों आम लोगों के साथ कार्यक्रम में शामिल रहे।

Advertisement
Advertisement

Related posts

गर्लफ्रेंड के साथ कार में मिले बीजेपी नेता: एक महिला के साथ रंगरेली मनाते हुए उसके घरवालों ने पकड़ लिया और जमकर पीटा.

pahaadconnection

कोटद्वार में भारी बारिश के कारण हालात चिंताजनक : विधानसभा अध्यक्ष

pahaadconnection

बेजुबानों की आवाज बनी हरिद्वार पुलिस

pahaadconnection

Leave a Comment