Pahaad Connection
Breaking News
Breaking Newsउत्तराखंड

हनुमान के अवतार माने जाते हैं नीम करौली बाबा नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर पर स्थित​है कैंची धाम

Advertisement

देहरादून। बाबा नीम करौरी ने कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। 1964 में बाबा ने यहां हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। नीम करौली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है। जिनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फिरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है,जो कि हिरनगांव से 500 मीटर दूरी पर है। बाबा का जन्म 1900 के आसपास हुआ था। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीनं ग्राम में हुई। 11 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह एक सम्पन्न ब्राम्हण परिवार की कन्या से हो गया था। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही इन्होंने घर छोड़ दिया।

Advertisement

घर छोड़ने के बाद नीम करोली बाबा गुजरात चले गए। वहां पहले एक वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना की। उसके बाद अन्य कई स्थानों पर साधना की। लगभग 9 वर्षों तक गुजरात में साधना करने के बाद महाराजजी भ्रमण पर निकले और वापस फिरोजाबाद के नीम करोली नामक गांव में रुके। यहीं जमीन में गुफा बनाकर पुनः साधनारत हुए। यहां उन्होंने गोबर की बनी एक हनुमान प्रतिमा की भी स्थापना की। जोकि अब बहुत प्रसिद्ध है। किसी परिचित ने बाबा के पिता को इसके बारे में बताया तो बाबा को फिर से गृहस्थ आश्रम में आना पड़ा। गृहस्थ आश्रम में बाबा को दो पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई। लेकिन 1958 के लगभग महाराजजी ने पुनः घर त्याग दिया। और बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए कैंची ग्राम पहुंचे। 9 सितंबर 1973 को बाबा कैंची धाम से आगरा के लिए निकले। 10 सितंबर 1973 को मथुरा स्टेशन पर पंहुचते ही महाराज जी बेहोश हो गए। और उन्होंने शरीर को त्याग दिया। नीम करौली बाबा की समाधि मन्दिर वृन्दावन में है। कैंची धाम नैनीताल अल्मोडा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर पर स्थित है। इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है। इस स्थान का नाम कैंची मोटर मार्ग के दो तीव्र मोडों के कारण रखा गया है। कैंची, नैनीताल, भवाली से 7 किमी की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है। कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष 15 जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। इस दिन यहां बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है।

Advertisement

ऐसा माना जाता है कि जब तक महाराज जी 17 वर्ष के थे, तब वह सबकुछ जानते थे। उनको इतनी छोटी सी आयु मे सारा ज्ञान था। भगवान के बारे में संपूर्ण ज्ञान था। जिनके हनुमान गुरु हैंं। बाबा के भक्तों का दावा है कि बाबा हनुमान जी के अवतार हैं। बाबा नीब करौरी ने कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। 1964 में बाबा ने यहां हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। बाबा के भक्तों में आम आदमी से लेकर कई वीआईपी शामिल हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। बाबा का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। बाबा नीम करौरी के नाम के साथ कई चमत्कार जुड़े हैं। स्थानीय लोगों और भक्तों का दावा है कि एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। इसके अलावा एक बार नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। इस तरह के कई चमत्कार बाबा के नाम के साथ जुड़े हैं। जिस वजह से देश विदेश से लोग यहां​खीचें चले आते हैं। भक्त इस धाम को किस्मत बदलने वाला धाम भी कहते हैं।

Advertisement
Advertisement

Related posts

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज प्रात : बदरीनाथ धाम पहुंचकर की भगवान बदरीनाथ की पूजा-अर्चना

pahaadconnection

आयरन की कमी को पूरी करता है शकरकंद। जाने और भी फायदे।

pahaadconnection

सुष्मिता सेन को आया था मेजर हार्ट अटैक, 95 फीसदी ब्लॉकेज था, बमुश्किल जान बची

pahaadconnection

Leave a Comment