अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में सोमवार को व्हाइट कोट सेरेमनी समारोह का आयोजन किया गया, इसके साथ ही संस्थान में एमबीबीएस नए सत्र का विधिवत शुभारंभ हो गया। इस दौरान मुख्यअतिथि दिल्ली एम्स के निदेशक प्रोफेसर एम. श्रीनिवास ने कहा कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक विद्यार्थियों को अपना पूरा समय अपने विषय पर केंद्रित करना चाहिए व पढ़ाई के दौरान उनका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेडिकल के छात्र-छात्राओं को फोर- जी, फाइव जी की नहीं बल्कि थ्री- जी यानी गौड (भगवान), गुरु( अपने शिक्षकों) और ग्रेटिट्यूड (पेशेंट्स के प्रति कृतज्ञता) सबसे महत्वपूर्ण है। एम्स ऋषिकेश में एमबीबीएस नए सत्र का विधिवत शुभारंभ हो गया, इस अवसर पर संस्थान के ऑडिटोरियम में पहली मर्तबा व्हाइट कोट समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में एमबीबीएस 2022 बैच के 125 छात्र-छात्राओं को व्हाइट कोट देकर चिकित्सकीय क्षेत्र में शामिल किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एम्स दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर एम. श्रीनिवास ने मेडिकल के छात्रों से आह्वान किया कि वह अपना पूरा समय पाठ्यक्रम पर फोकस करें और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पठन-पाठन के साथ ही व्यवहारिक शिक्षा पर ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय पेशा होने के बावजूद ईश्वर में विश्वास बनाए रखना और अपने जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारण करना बेहद जरुरी है। उन्होंने कहा कि अपने विषय में बेहतर ज्ञान के लिए एक अच्छा गुरू होना जरुरी है, लिहाजा छात्र छात्राओं को चाहिए कि वह अपने गुरुओं के प्रति समर्पित भाव रखें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमें जीवन में बड़ा होने के साथ साथ हमारे स्वभाव में कृतज्ञता का भाव भी होना चाहिए। जीवन में अच्छा काम करने के लिए हमें संकल्पित होना चाहिए। विद्यार्थियों में जोश भरते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व होना चाहिए कि उनका देश के ऐसे एम्स संस्थान में ऋषिकेश चयन हुआ है जो देशभर में स्थापित एम्स संस्थानों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। विशिष्ट अतिथि यूएसए के पीडियाट्रिक एलर्जी एंड इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर पीके वेदांथन ने चिकित्सकीय क्षेत्र को अपनाने के लिए छात्र छात्राओं को बधाई दी और कहा कि यह पेशा मानवता की सेवा के लिए समर्पित है। इसलिए हमें अपना पूरा समय मानव सेवा हेतू मरीजों के उपचार को समर्पित करना होगा। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए यह भी कहा कि हमें न केवल अपने टीचरों से सीखना होता है वरन मानवसेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले अन्य सभी लोगों से भी प्रेरणा लेनी होती है। डॉक्टर का स्वभाव अनुभवयुक्त विवेक के साथ पूर्णरूप से नम्र भी होना चाहिए। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह ने बताया कि एम्स,ऋषिकेश में व्हाइट कोट सेरेमनी का आयोजन पहली बार किया जा रहा है,जिसका उद्देश्य यह है कि एमबीबीएस में चयनित विद्यार्थियों को पहले दिन से ही चिकित्सा सेवा को ध्यान में रखते हुए पठन-पाठन के साथ समर्पण का संकल्प लें। और जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर देश दुनिया में उच्चकोटि की चिकित्सा सेवा देकर एम्स,ऋषिकेश का मान बढ़ाएं। इस अवसर पर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने एम्स ऋषिकेश में संचालित की जा रही विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं की विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने बताया कि कोविडकाल में संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग व अन्य कार्मिकों ने समर्पित भाव से मरीजों को सेवाएं उपलब्ध कराई। समारोह को डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन एग्जामिनेशन प्रो. प्रशांत पाटिल व डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सेना ने भी संबोधित किया। फिजियोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर जयंती पंत के संचालन में आयोजित समारोह में प्रो. शैलेंद्र हांडू, प्रो. लतिका मोहन, प्रो. शालिनी राव, प्रो. बलरामजी ओमर, डा. रजनीश अरोड़ा, डा. गीता नेगी, एएमएस डा. अंशुमन दरबारी, डा. मोनिका पठानिया, डा. मनीषा नैथानी, डा. वंदना धींगड़ा, डा. वेंकटेश एस. पाई, प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डा. स्मृति अरोड़ा, एफए ले. कर्नल एस. सिद्घार्थ, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, एओ गौरव बडोला, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडेय आदि मौजूद थे।