दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में गौहत्या रोकने और हर जिले में अलग गाय संरक्षण सेल की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार, शहर सरकार और शहर की पुलिस से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अजय गौतम की याचिका पर अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी होने के बावजूद “दिल्ली में बड़े पैमाने पर गोहत्या की घटनाएं” हुई हैं।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में 15 जिले हैं जिनमें लगभग 206 पुलिस स्टेशन और 52 पुलिस पोस्ट (चौकी) हैं, यह कहते हुए कि शहर की पुलिस में 38,000 पुलिसकर्मी तैनात हैं।
याचिका में कहा गया कि “लेकिन इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद दिल्ली में बड़े पैमाने पर गौहत्या की घटनाएं हुई हैं। हरियाणा का वह मेवात/नुहू जो दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं है, गौहत्या के लिए बदनाम है और इस इलाके में रहने वाले लोग रात के वक्त दिल्ली आते हैं और सड़कों या पशु फार्मों और डेयरियों से आवारा गायों को अगवा कर मेवात ले जाते हैं और उन्हें मार डालते है।”
इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 के तहत गाय तस्करों और गाय सेवकों के बीच संघर्ष से बचने के लिए दिल्ली पुलिस को गायों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रकोष्ठ या इकाई बनाने का अधिकार है।
मामले की सुनवाई 17 मई को होगी।