इस फिल्म से पहली बार रमेश सिप्पी ने अपने घरेलू बैनर ‘सिप्पी फिल्म्स’ से बाहर जाकर निर्माता मुशीर-रियाज़ की कंपनी एम.आर. प्रोडक्शन्स के लिए फिल्म का निर्देशन किया। अपने निर्माण के दौरान ये फिल्म चर्चा में रही और फिल्म प्रेमियों में इस फिल्म काफी उत्सुकता बन गयी क्योंकि इस फिल्म में पहली बार अभिनय जगत के महारथी समझे जाने वाले दो कलाकार- दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन पहली बार एक साथ काम कर रहे थे।
इस फिल्म का लेखन सलीम-जावेद की सफल जोड़ी ने किया था जो इससे पहले रमेश सिप्पी के लिए अनेक सफल फ़िल्में- अंदाज़ (1971), सीता और गीता (1972) , ‘शोले ‘ (1975) और शान (1980) का लेखन कर चुके थे। रमेश सिप्पी ‘मदर इंडिया’ की तरह एक फिल्म बनाना चाहते थे जिसमे पिता को अपने आदर्शों के लिए पुत्र का बलिदान करते हुए दिखाया जाए। उन्होंने शिवजी गणेशन की एक तमिल फिल्म के अधिकार खरीदकर अपने लेखकों की टीम सलीम-जावेद के साथ मिलकर उस फिल्म की कहानी को विकसित किया और ‘शक्ति’ फिल्म की स्क्रिप्ट को तैयार किया। ‘शक्ति’ फिल्म की कहानी, पटकथा और प्रस्तुतिकरण में सलीम-जावेद की पिछली फिल्म दीवार (1975 ) का साफ़ असर दिखाई देता है जो स्वयं ‘मदर इंडिया’ और ‘गंगा जमुना’ से प्रेरित थी हालाँकि रिलीज़ के समय फिल्म को समीक्षकों की तारीफ़ और सराहना मिली परन्तु बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को साधारण सफलता ही मिली। उसी वर्ष रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन की अन्य फिल्मों ‘नमक हलाल’, ‘कालिया’, ‘खुद्दार’ और ‘सत्ते पे सत्ता’ और दिलीप कुमार की रिलीज़ हुई फिल्म ‘विधाता’ की तुलना में इस फिल्म को कुछ कम सफलता मिली, पर अब इस फिल्म की गिनती 80 के दशक की श्रेष्ठतम फिल्मों में की जाती है! हिंदी सिने जगत में दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन ऐसे कलाकार हैं, जो सिर्फ अपने नाम से ही दर्शकों को खींच लिया करते थे. इन दोनों ही कलाकारों ने भारतीय सिनेमा को ऊंचाई तक पहुंचाने में अपना खास योगदान दिया है। हैरानी की बात है कि लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहने के बावजूद दिलीप कुमार के साथ अमिताभ ने मात्र एक ही फिल्म की। 1 अक्टूबर 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘शक्ति’ में स्क्रीन पर दोनों एक्टर पिता-पुत्र की भूमिका में नजर आए. जब ये फिल्म रिलीज हुई थी तो तहलका मच गया था। फिल्म में अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार के साथ राखी और स्मिता पाटिल थी.क्या होता है जब फिल्म इंडस्ट्री के दो महान कलाकार एक साथ काम करना पड़ता है, और दिग्गज भी दिलीप कुमार और अभिताभ बच्चन जैसे। आज हम आपको एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं, जब सुपरस्टार अमिताभ बच्चन दिलीप कुमार का नाम सुनते ही फिल्म में सेकंड लीड के लिए तैयार हो गए थे। किस्सा कुछ यूं है कि फिल्म डायरेक्टर रमेश सिप्पी ‘मदर इंडिया’ फिल्म से बेहद प्रभावित थे। ऐसे कें उनके जेहन में ख्याल आया कि जिस प्रकार मदर इंडिया में नरगिस जी का सशक्त किरदार इंसाफ के लिए अपने बेटे पर गोली चलाने से भी नहीं चूकता, वैसा ही किरदार पुरुष में भी तो हो सकता है। रमेश सिप्पी की इसी कल्पना से फिल्म ‘शक्ति’ ने जन्म लिया।
आपको याद होगा की शक्ति फिल्म में अपने फर्ज और उसूलों की खातिर पुलिस अधिकारी पिता अपने पुत्र को भी गोली मार देता है. जिस प्रकार नरगिस जी ने मदर इंडिया के किरदार के साथ इंसाफ किया था, उसी तरह पिता के किरदार के साथ इंसाफ भला कौन कर सकेगा..? ये सवाल अपने आप में बड़ा था और इसका एकमात्र जवाब दिलीप कुमार के रूप में सामने आया. रमेश सिप्पी ने दिलीप कुमार को इस किरदार के लिए तैयार कर लिया। फिल्म की तैयारियां शुरू हो गईं और अब अगला सवाल ये था कि फिल्म में सेकंड लीड यानि कि दिलीप कुमार के बेटे का किरदार कौन निभाएगा. फिल्म के राइटर सलीम-जावेद के दिमाग में इस भूमिका के लिए राज बब्बर का नाम था। हालांकि जब इस फिल्म की जानकारी उस वक्त के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पास पहुंची तो उन्होंने खुद इस फिल्म में काम करने की इच्छा जाहिर कर दी। महज दिलीप कुमार के साथ काम करने के लिए अमिताभ सेकंड लीड निभाने के लिए तैयार हो गए। अमिताभ का सितारा उन दिनों बुलंदियों पर था. उनकी फिल्में एक के बाद एक सुपरहिट हो रही थीं. ऐसे में अमिताभ किसी फिल्म में सेकंड लीड करेंगे, ये बात किसी के गले उतर नहीं रही थी। वह भी एक ऐसी फिल्म में जिसमें दिलीप कुमार जैसा महान एक्टर मुख्य भूमिका में हो और फिल्म उसी के किरदार के इर्द-गिर्द बुनी गई हो. इसके बावजूद अमिताभ को इसकी कोई परवाह नहीं थी। वे तो बस दिलीप कुमार के साथ काम करना चाहते थे।
ये दिलीप कुमार का जादू ही था कि राखी इस फिल्म में अमिताभ की मां के रोल के लिए तैयार हो गई थीं। इस तरह से उन्हें दिलीप कुमार की धर्मपत्नी का रोल निभाने का मौका मिल रहा था, जबकि उस समय राखी कई फिल्मों में अमिताभ बच्चन के अपोजिट उनकी प्रेमिका के रोल भी निभा रही थीं। आखिरकार अमिताभ ने दिलीप कुमार के बेटे का रोल निभाया। फिल्म के रिलीज होने के बाद जिस बात का डर था वही हुआ। कई फिल्म समीक्षकों ने दिलीप कुमार के सामने अमिताभ के काम को बौना साबित करने की कोशिश की. जाहिर है कि फिल्म में दिलीप कुमार अहम भूमिका में थे. बाद में अमिताभ को भी लगने लगा कि कहीं ये फिल्म करके उन्होंने कोई गलती तो नहीं कर दी है। पर आज इतने सालों बाद ये कहा जा सकता है कि शक्ति न केवल दिलीप साहब की बल्कि अमिताभ बच्चन के करियर की भी बेहतरीन फिल्मों में से एक है। शक्ति फिल्म का आखिरी सीन मुंबई के नवनिर्मित एयरपोर्ट पर शूट किया जाना था। इस सीन में दिलीप कुमार अपने बेटे का किरदार निभा रहे अमिताभ बच्चन को गोली मारते हैं और अमिताभ उनकी बाहों में दम तोड़ देते हैं। सीन शुरू होने से पहले अमिताभ फिल्म की यूनिट से थोड़ी दूर खड़े होकर अपनी रिहर्सल कर रहे थे, लेकिन यूनिट के लोगों की बातचीत और आवाजें उन्हें डिस्टर्ब कर रही थीं। दिलीप कुमार ने ये देखा और वे अमिताभ की परेशानी भांप गए। इसके बाद दिलीप साहब गरजे और यूनिट के लोगों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि एक एक्टर जब अपने काम में ध्यान लगाने की कोशिश कर रहा है तो यूनिट के लोगों को उसका सहयोग करना चाहिए। बाद में ये सीन फिल्म के सबसे दमदार सींस में से एक साबित हुआ. दिलीप कुमार बहोत बडे नेचुरल एक्टर थे, उनकी आंखों से निकले आंसू, उंगली उठाते हुए चुनौती देते हाथ या उर्दू से लबरेज़ उनकी ज़ुबान इतनी दमदार थी कि बहुत से कलाकार उनके साथ काम करते हुए डरते थे। अमिताभ और ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने साथ मे सिर्फ एक ही फ़िल्म की है और इसमें दिलीप कुमार आमिताभ के पिता का रोल किया है। जानकारों का ये कहना था कि अमिताभ को डर था कि उनका रोल और उनकी अहमियत दिलीप कुमार के सामने दब जाएगी, इसलिए दोबारा वो अब दिलीप कुमार के साथ फ़िल्म नहीं करेंगे, और ऐसा हुआ भी।