देहरादून। विपक्षी गठबंधन इंडिया पर भाजपा मीडिया प्रभारी के आरोपों का पलटवार करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने जोरदार हमला बोला है।
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की यदि विपक्ष ने यह फैसला लिया है की जो तथाकथित पत्रकार पूरे देश में नफरत का बीज हो रहे हैं और समाज में धार्मिक उन्माद का आतंक फैलाये हुए है उन्हें ना उन एंकरों के प्रोग्राम में जाना है और ना ही उनके इस नफरत के एजेंडे का हिस्सा बनना है तो यह अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात कैसे हुआ ? उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की यह तो विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है कि उसे किस कार्यक्रम का हिस्सा बनना है और किसका नहीं, कौन सा कार्यक्रम देखना या सुनना है कौन सा नहीं ये फैसला कर सके। गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि यदि विपक्षी दलों ने ऐसे चरण चुंबक पत्तल कारों का बहिष्कार किया है जो सत्ता से कभी सवाल नहीं करते तो इसमें क्या गलत है?
गरिमा मेहरा दसौनी ने बताया ना ही विपक्ष ने इन चिन्हित एंकरों को बोलने से रोका है, ना पत्रकारिता का लाइसेंस इनसे छीना है, ना कोई पाबंदियां लगाई है और ना ही की नौकरियां खाई है तो ऐसे में विपक्ष पर अनर्गल आरोप लगाने का क्या औचित्य बनता है। दसौनी ने मीडिया प्रभारी को याद दिलाया कि जब बीबीसी ने गोधरा कांड पर एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी उसको यूट्यूब से हटवा दिया गया क्या वह अभिव्यक्ति की आजादी पर आक्रमण नहीं था ??जिन विश्वविद्यालय में इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया गया उन पर मुकदमा ठोक दिया गया। गरिमा मेहरा दसौनी ने याद दिलाया की मोदी की तानाशाह सरकार यही नहीं रुकी और बीबीसी के मुंबई स्थित कार्यालय पर रेड डाल दी गई ताकि दबाव बनाया जा सके।
गरिमा मेहरा दसौनी ने मीडिया प्रभारी से पूछा कि जिन एंकरों का विपक्षी गठबंधन इंडिया ने बहिष्कार किया है उन्होंने अपने कार्यक्रमों में बेरोजगारी पर , महंगाई पर, नौकरी पर, भ्रष्टाचार पर, गिरती अर्थव्यवस्था पर, समाज में बढ़ती असमानता पर, महिला अपराध पर कितनी चर्चाएं कराई? गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा मीडिया प्रभारी को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी। गरिमा मेहरा दसौनी ने मीडिया प्रभारी को जानकारी देते हुए बताया की बैन लगाने का अधिकार सिर्फ सरकारों को हुआ करता है विपक्ष ने तो मात्र बहिष्कार किया है ठीक वैसा ही बहिष्कार जो प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 9 सालों से रवीश कुमार, विनोद दुआ, अभिसार शर्मा, अजीत अंजुम, साक्षी जोशी, करन थापर जैसे कुछ पत्रकारों का किया और उनकी नौकरी भी खा ली। विपक्ष तो सिर्फ इन जहरीले एंकरों को और उनके चैनलों को सुधरने का एक मौका दे रहा है।विपक्ष सिर्फ यह चाहता है कि जो नफरत यह एंकर फैला रहे हैं उसे रोक दें। विपक्ष तो सिर्फ उस नफरत का जो यह एंकर अपने कार्यक्रम के माध्यम से फैला रहे हैं उसका हिस्सा बनने से इनकार कर रहा हैं तो क्या गलत है?ये एंकर ना तो प्रधान सेवक से पिछले 9 सालों में सवाल पूछने की हिम्मत कर पाए और हिंसा भड़काने के लिए झूठ बोलकर खबर मैनिपुलेट करते हुए भी एंकरों को देखा गया। अगर विपक्ष ने यह फैसला लिया है कि इन जैसे जहर फैलाने वालों का बहिष्कार किया जाए तो क्या गलत है ? गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा मीडिया प्रभारी से पूछा कि अगर विपक्ष को यह मुट्ठी भर गोदी मीडिया या पत्रकार पसंद नहीं और उनके कार्यक्रम का हिस्सा वह नहीं बनना चाहते तो इसमें हर्ज क्या है ? गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि भाजपा मीडिया प्रभारी बताएं कि देश की 140 करोड़ जनता के प्रधानमंत्री को पारदर्शिता की खातिर क्या जनता के और मीडिया के सवालों का जवाब नहीं देना चाहिए ?फिर ऐसा क्यों है कि मोदी सिर्फ मन की बात करते हैं और दूसरों की मन की बात नहीं सुनते। क्यों पिछले 9 सालों में मोदीजी ने एक भी प्रेस वार्ता नहीं की? क्यों पिछले सात सालों तक एनडीटीवी में पूर्व में कार्यरत एक पत्रकार के कार्यक्रम में भाजपा के प्रवक्ताओं ने हिस्सा नहीं लिया?
दसौनी ने चौहान को याद दिलाया कि पत्रकारों का काम होता है देश की सत्ता से सवाल पूछना यह नहीं कि उनकी चरण वंदना करे। यदि समूचे विपक्ष ने यह फैसला लिया है कि वह जहर परोसने वालों को ना बयान देगा ना विज्ञापन तो क्या गलत फैसला है? गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की विपक्ष का निर्णय नफरत मुक्त भारत बनाने की दिशा में लिया गया एक सार्थक कदम है ।समाज को नुकसान पहुंचाने वाले इन पत्रकारों को सबक सिखाना जरूरी है।