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गाडू घड़ा का नृसिंह मंदिर से टिहरी राजमहल के लिए प्रस्थान

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जोशीमठ/ डिम्मर सिमली। 14 फरवरी को बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर भारत के चार धामों में सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथि निश्चित की जाएगी। यह तिथि नरेंद्रनगर स्थित टिहरी राजमहल में टिहरी नरेश महाराजा मनुजेंद्र शाह द्वारा एक धार्मिक कार्यक्रम के तहत पंचांग पूजा के उपरांत घोषित की जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के तहत भारत के चार धामों में से सर्वश्रेष्ठ धाम हिमालय में स्थित एकमात्र श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने  और बंद होने की ही अनूठी परंपरा है। ग्रीष्मकाल में बैसाख मास श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों के लिए भगवान बद्री विशाल के कपाट दर्शनार्थ खोले जाते हैं, और शीतकाल में नवंबर के मध्य कपाट बंद हो जाते हैं। इससे पूर्व पौराणिक मान्यता व पारंपरिक रीति रिवाज के चलते आज श्री बद्रीनाथ धाम के पुजारी समुदाय डिमरियों की श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा पूजा अर्चना के साथ नृसिंह मंदिर से तेल कलश गाडू घड़ा को नरेंद्र नगर राज महल पहुंचाने के क्रम में पांडुकेश्वर योग ध्यान बद्री मंदिर, कल डिमरी पुजारियों के मूल ग्राम डिम्मर स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर होते हुए 13 फरवरी को शाम तक ऋषिकेश पहुंचाया जाएगा।14 फरवरी को प्रातः डिमरी पुजारियों के साथ मंदिर समिति के पदाधिकारी व अधिकारी गण समेत अन्य पुजारीगण नरेंद्रनगर टिहरी राज दरबार पहुंचेंगे। गाडू घड़ा का राज दरबार में पहुंचने के साथ ही श्री गणेश व पंचांग पूजा के उपरांत भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलने की तिथि व मुहूर्त निश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान बद्री विशाल की यात्रा काल के दौरान नित्य प्रति महाअभिषेक पूजा में प्रयुक्त होने वाले तिलों के तेल को पिरोने की तिथि भी घोषित होगी। टेहरी राजमहल में पिरोया गया यही तिलों का तेल गाडू घड़ा में भरकर शोभायात्रा के साथ कपाट खुलने पर बद्रीनाथ धाम पहुंचाया जाएगा। श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि पंचायत की ओर से तेल कलश गाडू घड़ा जोशीमठ से नरेंद्रनगर पहुंचाने के लिए ज्योतिष डिमरी व संजय डिमरी को नियुक्त किया गया है। डिमरी ने बताया कि बसंत पंचमी पर नरेंद्रनगर में पंचायत के पदाधिकारी व अन्य पुजारीगण भी रहेंगे। आज जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में तेल कलश के प्रस्थान के समय बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, कुलदीप भट्ट आदि मौजूद थे.

 

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