देहरादून। भगवान सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही मांगलिक कार्यों पर भी विराम लग जाएगा। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 13 अप्रैल तक विराजमान रहेंगे। इस दौरान महीने पर सभी मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। इस अवधि में धार्मिक कार्य यानी पूजा-पाठ और हवन तो किए जा सकते हैं लेकिन किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की खरमास की अवधि को अशुभ माना गया है. 14 मार्च 2024 से खरमास शुरू हो जाएंगे। सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करेंगे तो इस दिन से एक महीने तक खरमास लग जाते हैं। मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य गुरु ग्रह की राशि मीन या धनु में गोचर करते हैं तब खरमास की अवधि रहती है, इस दौरान सभी मांगलिक कार्यों पर क्योंकि सूर्य के तेज से समस्त शुभ कार्यों के कारक ग्रह बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। मीन संक्रांति पर 14 मार्च को दोपहर 3.12 मिनट पर सूर्य के कुंभ से मीन राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास शुरू हो जाएंगे। सूर्य यहां 13 अप्रैल रात 09.03 तक रहेंगे। इसके बाद खरमास की समाप्ति होगी। ऐसे में 14 मार्च से पहले मांगलिक कार्य संपन्न कर लें। इसके बाद 1 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। इस साल 2024 में खरमास बहुत खास माना जा रहा है क्योंकि इस दौरान 17 मार्च से होलाष्टक लग जाएंगे, 25 मार्च को चंद्र ग्रहण, होली और 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का पर्व भी खरमास के दौरान ही पड़ रहा है। देवी-देवताओं की पूजा के लिए खरसमा श्रेष्ठ दिन होते हैं। इस दौरान सूर्य की पूजा, गाय की सेवा, दान कर्म, मंत्र जाप जरुर करें। मान्यता है इसके फलस्वरूप व्यक्ति को कभी न खत्म होने वाला वरदान प्राप्त होता है, उसकी आयु लंबी होती है। जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है। खरमास विष्णु जी को समर्पित है। ऐसे में एक माह तक रोजाना विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ, गीता पाठ आदि करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। एक समय खाना खाएं। बिस्तर का त्याग करें। मन में किसी के लिए बुरे विचार न लाएं। ब्राह्मण को दान दें.इससे ग्रहों के दुष्प्रभाव खत्म हो जाते हैं।