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और जब मंत्री को सुनाई खरी खोटी

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देहरादून। सत्ता के मद में चूर मंत्राी अब यह भी भूल चुके है कि पार्टी के लिये एक-एक वोट अहमियत रखता है। खासकर भाजपा एक वोट की कीमत शायद भूल चुकी है भाजपा को तो यह भी याद नहीं है कि एक वोट के कारण अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गिर गयी थी। हुआं यूं कि इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के सभी मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार में जुटे हुए है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड राज्य के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी मसूरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा सांसद प्रत्याशी टिहरी लोकसभा महारानी राज्य लक्ष्मी शाह के पक्ष में जन संपर्क कर रहे हैं। वह जन संपर्क कार्यक्रम के तहत महारानी राज्य  लक्ष्मी शाह के साथ मसूरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत गल्जवाडी के बूथ संख्या 126 और 127 तथा अनारवाला ग्राम पंचायत के अनारवाला बूथ संख्या 121 और 122 एवं विलासपुर कांडली सहित विभिन्न क्षेत्रों में जनसंपर्क एवं सभाओं को संबोधित कर रहे थें। कैबिनेट मंत्री को दूर-दूर तक यह आभास नहीं था कि जिन भाजपा कार्यकर्ताआंे के साथ वह सभा में सरकार के कामकाजों का बखान कर रहे है उसी भीड़ में से कुछ पूर्व सैनिक सरकार के कामकाज से खुश नहीं है और वह उनके काफिले को रोक भी सकते है। वाहवाही की उम्मीद कर जनता के बीच पहुंचे कैबिनेट मंत्री को उस समय झटका लग गया जब वापसी में मंत्री जी के काफिले को पूर्व सैनिकों की भीड़ ने रोककर खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया। मंत्री के साथ ही मौजूद राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त कैलाश पंत पूर्व सैनिको के आरोपों को सुनकर भौचक्कें रह गये। पूर्व सैनिकों का कहना था कि उनके क्षेत्र की न ही सासंद ने कोई सुध ली और न ही क्षेत्रीय विधायक से कैबिनेट मंत्री बने गणेश जोशी ने। मुंह पर बुराईयों सुनकर कैबिनेट मंत्री बगले झांकने लगे। पूर्व सैनिकों का आरोप था कि किसी योजना से पेयजल कनेक्शन मिले न ही टूटी सड़के बनी। जब मंत्री के पास आरोपों का कोई जवाब नहीं था तो वह इतने ज्यादा आंख बगुला हो गये कि उन्होंने यहां तक कह डाला कि जिसे मन आये उसे वोट दो आखिर मंत्री क्या बोल गये। यह शायद वह भी भूल गये जन जन से मिले वोट के कारण ही वह मंत्री बने और जिनके लिये चुनाव प्रचार कर रहे है वह भी सांसद इन्हीं मतदाताओं के वोट से बनी है। भाजपा के लिये एक वोट की क्या कीमत होती है यह शायद आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अरूण शौरी, वाला वक्त बेहतर जानता था। उस समय एक वोट से अटल विहारी बाजपेयी की सरकार गिर गयी थी। एक वोट चुनाव परिणाम बदल देता है। ऐसे में कहीं यह न हो जायें कि पूर्व सैनिकों की जो उपेक्षा आज मंत्री करके आये है कहीं उनका वोट बैक भाजपा से न खिसक जायंे यदि ऐसा हुआ तो भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह के चुनाव पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। महारानी राज्य लक्ष्मी शाह एक-एक वोट के लिये खुद दिन रात एक किये हुए है और मंत्री जी के मुंह से निकले यह शब्द एक छोड़ो कई वोट को काटने का काम न कर दें। वहीं यह भी कहा जा सकता है कि भाजपा के मंत्री सत्ता के नशे में इतना चूर हो गये है कि वह अपनी कुर्सी के सामने मतदाताओं को कुछ नहीं समझते शायद वह वोट अहमियत को भूल गये है उनका विश्वास कहीं ओर ही जमा हुआ है।

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