शनिवार को पूरे राज्य में बारिश ने कहर बरपाया. 50 से ज्यादा घर मलबे में दब गए। मलबे के कारण दो पुल टूट गए और 250 से अधिक सड़कें बंद हो गईं। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई जबकि 20 लोग घायल हो गए। इसके अलावा 13 लोग अब भी लापता हैं।
कीर्तिनगर तहसील के गोदी कोठार में दूसरे दिन भी मलबे में दबी महिला की तलाश जारी है. वहीं, जौनपुर प्रखंड के ग्वाद गांव में शनिवार तड़के बादल फटने से जमी कमंद सिंह के पांच सदस्यीय परिवार का अभी पता नहीं चल पाया है. रविवार सुबह से ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राजस्व पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें तलाशी व तलाशी अभियान में लगी हुई हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.
जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय के अनुसार गांव में बिजली और पानी की आपूर्ति के लिए टीमें काम कर रही हैं. बता दें कि शनिवार तड़के 2 बजे बादल फटने से ग्वाद गांव में राजेंद्र सिंह और कमंद सिंह के परिवार के सात सदस्य मलबे में दब गए. ग्रामीणों ने किसी तरह राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी सुनीता देवी के शवों को बचाया था, लेकिन पांच लोग अभी भी लापता हैं.
आपदा संवेदनशील उत्तराखंड में इस साल 36 लोगों की जान चली गई है। इसके अलावा 53 लोग घायल हुए हैं, जबकि 13 लोग लापता हैं। जान गंवाने के साथ-साथ 254 छोटे बड़े जानवरों की भी मौत हुई है. सैकड़ों पक्की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वहीं, पिछले साल आपदा में कुल 303 लोगों की मौत हुई थी।
पिछले साल की बात करें तो यहां कुल 303 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 87 लोग घायल हुए थे। 61 लोग अभी भी लापता की सूची में हैं।
पिछले साल 15 जून से 30 सितंबर के बीच मानसून के मौसम में आपदा के दौरान 36 लोगों की मौत हुई थी। इसमें 33 लोग घायल हो गए, जबकि छह लोग अब भी लापता हैं।